लाल टिपारा गौशाला में 108 टन गोबर से बने गोवर्धन की हुई पूजा, हुआ अन्नकूट

 स्वतंत्र समय, ग्वालियर

दीपावली के पांच दिवसीय त्योहार में दीपोत्सव के अगले दिन घर-घर गोवर्धन पूजा की जाती है। पर इस बार दीपावली के अगले दिन सोमवार को सूर्योदय व्यापिनी नहीं होने पर यह पूजा मंगलवार को हुई है। ग्वालियर के मुरार स्थित लाल टिपारा गौशाला में गाय के 108 टन गोबर से एक मंजिल ऊंचे भगवान गोवर्धन बनाए गए थे। जिसमें गौशाला के साधू संत, नगर निगम के अधिकारियों व आसपास के 20 से 25 गांव के निवासियों ने एक साथ गोवर्धन पूजन किया। साथ ही, गायों को रंग कर दीपावली की बधाई देकर खुशियां मनाई गईं। माना जाता है, इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान इंद्रदेव के अहंकार को तोड़ा था। तभी से ये त्योहार हर वर्ष दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि के दिन अन्नकूट, गोवर्धन एवं बलि पूजा की जाती है। हर साल अन्नकूट व गोवर्धन पूजा दीपावली के ठीक अगले दिन की जाती है, लेकिन इस बार प्रतिपदा तिथि सोमवार (दीपावली के अगले दिन) को सूर्योदय व्यापिनी नहीं होने तथा नौ मुहूर्त को भी व्याप्त नहीं करने के कारण सोमवार को नहीं मनाई गई थी। प्रतिपदा तिथि का आरंभ सोमवार दोपहर बाद 2.57 बजे से हो गया था और यह तिथि मंगलवार शाम 7 बजे तक चलेगी। इसी कारण मंगलवार के दिन वज्र व शोभन योग में की जा रही है। शहर में घर-घर में गोवर्धन बनाकर उनका पूजन किया जा रहा है। ग्वालियर के सबसे बड़े भगवान गोवर्धन मुरार लाल टिपारा स्थित गौशाला में बनाए गए थे। यहां सैकड़ों लोगों ने मंगलवार सुबह एक साथ गोवर्धन पूजन किया है। इसके बाद गौशाला में अन्नकूट का आयोजन किया गया। जिसमें आसपास के लोगों ने प्रसादि ग्रहण की।

सुरती की पूजा के साथ होती है पूजा

दीपावली पर रात को पूजन के समय बड़ा दिया जलाया जाता है। इसे सुरती भी कहा जाता है। अगले दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर घर के आंगन में इसी सुरती की पूजा की जाती है। मंगलवार को 11 बजे के शुभ मुहूर्त में घर-घर में गोवर्धन पूजा कर पटाखे फोड़े गए।

सामूहिक पूजा का चलन

गोवर्धन पूजा सामूहिक पूजा मानी जाती है। इसमें एक परिवार, मोहल्ले या गांव के लोग मिलकर किसी एक स्थान पर पूजा-अर्चना करते हैं। पहले गोवर्धन देव की पूजा होती है, फिर परिक्रमा कर मन्नत मांगी जाती है। ग्वालियर में कई जगह सामूहिक पूजा होती है। जहां एक परिवार, कुटुम्ब व मोहल्ला और गांव के लोग एक साथ गोवर्धन पूजा करते हैं। ग्वालियर के दुल्लपुर में गुर्जर समाज के लोग बड़ी संख्या में एक साथ पूजन कर आतिशबाजी करते हैं।

गिर्राज जी की परिक्रमा का भी महत्व है

इस दिन मथुरा में गिर्राज जी की परिक्रमा का भी विशेष महत्व होता है। लोग घरों में पूजन के बाद मथुरा पहुंच कर गिर्राज जी की 7 मील की परिक्रमा करते हैं। यहां परिक्रमा के दौरन जगह-जगह अन्नकूट के आयोजन होते दिखाई देते हैं।