वकालत से सियासत तक ‘बांसुरी’ की मधुर धुन…!

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

पूर्व मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को भाजपा ने टिकट भले ही अब दिया हो, लेकिन बीते 4 साल से पीएम मोदी का खास स्नेह उनके प्रति रहा है। मोदी जब सुषमा के अंतिम संस्कार में पहुंचे थे तभी बांसुरी के सिर पर हाथ रखकर कह दिया था कि कभी खुद को अकेला मत समझना मैं आपके साथ खड़ा हूं। यह जज्बात अपनी जगह है, लेकिन मोदी बांसुरी की काबिलियत पर मोहित हुए थे। बांसुरी को जब उन्होंने हिंदी में भाषण देते सुना तो वह दंग रह गए। आमतौर पर अंग्रेजी में बात करने वाली बांसुरी ने ऐसी हिंदी बोली कि मोदी ने कहा आपको देखकर सुषमा जी की याद आ गई। दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ रही बांसुरी अगर जीत जाती है तो तय माना जा रहा है कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में उन्हें जगह मिलेगी।

कमाल की याददाश्त है बांसुरी की, 16 साल वकालत का तजुर्बा

बांसुरी की जिंदगी का असली सफर लंदन की यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ। वहां कानून सहित कई डिग्री हासिल की। भारत आने के बाद 16 साल तक वकालत में तजुर्बा हासिल करती रहीं। कई हाई प्रोफाइल कैसे के लिए कोर्ट में दलीलें दी हैं। आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी की लीगल टीम में शामिल होने के बाद बांसुरी के नाम पर विवाद भी हुआ था, लेकिन सब बातें हवा हो गई। बांसुरी के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि उनकी याददाश्त कमाल की है। कानून की धाराएं उन्हें ऐसी रटी हैं, जैसे छोटे बच्चों को मां का नाम रहता हो। साथी वकील भी उनकी विद्या के दीवाने हैं। गूगल से गलती हो सकती है लेकिन बांसुरी अपने कानूनी ज्ञान में सटीक बैठती है। बांसुरी के पिता और सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल भी क्रिमिनल लॉयर ही थे। बेटी भी उन्हीं के रास्ते पर चली। वकालत में कामयाबी हासिल करने के बाद अब सियासी मैदान में पर रखा है। बांसुरी के भाजपा से जुड़ाव की शुरुआत लीगल सेल से हुई थी। वहां बेहतरीन काम, युवा जोश और प्रतिभावान होने के कारण उन्हें आगे मौका मिला। जिस तरह प्रियंका गांधी के लिए कहा जाता है कि उनमें इंदिरा गांधी की झलक है। उसी तरह बांसुरी के लिए कहा जाता है कि उनमें मां सुषमा स्वराज नजर आती है।