स्वतंत्र समय, भोपाल
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. रागिनी नायक ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि 22 प्रतिशत आदिवासी बहन-भाइयों की आबादी वाला क्षेत्र मध्य प्रदेश आदिवासियों के उत्पीडऩ और शोषण में नंबर एक स्थान पर है। कुछ दिन पहले ही 10 करोड़ का घोटाला वन विभाग का हमने उजागर किया था। एक सप्ताह नहीं बीता और एक नए 500 करोड़ के घोटाले की आहट आ रही है।
वन विभाग ने पौधारोपण, गड्ढा खोदने, वन संरक्षण, कैंपा फंड से संबंधित हर काम ठेकेदारों को सौंपने का निर्णय कर लिया, तो विजय शाह चाह रहे थे कि पिछले 2 सालों से यह निर्णय हो जाए और लगे थे एड़ी चोटी का जोर लगाने। वन विभाग के अफसर किसी न किसी तरीके से उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे, जैसे ही चुनाव पास आया तो आचार संहिता से 3 दिन पहले चुपके से करीब 1445 करोड़ की ठेकेदारी को वन व्यवस्था में सुनिश्चित कर दिया गया, यह सारा काम जो होता था अब ठेकेदार करेंगे तो इससे आदिवासियों को नुकसान हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया जहां-जहां शिवराज सरकार में ठेकेदारी हुई है, वहां-वहां 50 प्रतिशत की कमीशनखोरी हुई है। दूसरी बात जो रोज का 370 रू. का मेहनताना आदिवासियों को मिलता है वह करीब साल भर में 500 करोड रुपए होता है अब इस 500 करोड रुपए को किस तरह से इस्तेमाल करना है। जो वहां के क्षेत्रीय आदिवासी भाई बहन हैं उनको यह लाभ मिलेगा कि नहीं मिलेगा, यह अब कौन निर्धारित करेगा यह सरकार निर्धारित नहीं करेगी, यह ठेकेदार निर्धारित करेंगे। जैसा कि आप सब लोग बहुत अच्छे से जानते हैं ठेकेदारी व्यवस्था जहां पर आती है, वहां मुनाफाखोरी की व्यवस्था होती है।
अगर कम में मजदूर मिलेगा तो वहां के आदिवासियों का क्या होगा? उनकी जेब काटने और पेट काटने का काम शिवराज सरकार के मंत्री ने किया है और इस तरह की ठेकेदारी की व्यवस्था पूरे देश में दो जगह पर है। एक भाजपा द्वारा शासित गुजरात में और दूसरी भाजपा की पिछली सरकार जो कर्नाटक में काम कर रही थी वहां।
सरकार जब तक इन ठेकेदारी व्यवस्था को नहीं लाई तो जो नया पौधा लगाया जाता था, उसकी 7 से 11 साल तक की देखभाल का काम सरकार के हाथों में होता था। जैसे ही ठेकेदारी व्यवस्था आई तो उन्होंने कह दिया कि हम सिर्फ 1 साल तक ही देखभाल करेंगे तो जो 10 साल का काम है वह वन विभाग को करना पड़ा और पैसा ठेकेदार ले गया, करोड़ों का नुकसान हुआ और इसी की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी होगा। मप्र में 172 नर्सरी ऐसी हैं जहां पर वृक्षारोपण-पौधारोपण हो चुका है। अमूमन यहां 3 से 4 साल पौधे की देखभाल की जाती थी, अब जो ठेकेदारी की व्यवस्था आई है सीधे-सीधे ठेकेदार यह कह देंगे कि पौधारोपण का काम तो पहले हो गया है, हमारा कोई लेना देना नहीं है। प्रदेश के स्तर पर 100 करोड रुपए का लॉस होगा, घाटा होगा। याद रखिए 4 लाख करोड़ का कर्ज मध्य प्रदेश पर पहले से है। यह 100 करोड़ का घाटा उसमें और जोड़ लीजिए और इसी के साथ उसमें 500 करोड़ रूपया ठेकेदारों की जेब में डालने का काम सरकार ने किया है। इससे आदिवासियों को नुकसान बहुत हुआ है।
140 का छाता 229 में खरीदकर कमीशन खाया
रागिनी नायक ने आरोप लगाया कि तेंदुपत्ता संग्रहण में एक बोरे का 3000 रू. दे रही है शिवराज सिंह सरकार, एक बोरे में करीब 50 हजार पत्ते होते हैं। एक गड्डी में 50 पत्ते और इस तरह की करीब 1000 गड्डियां बोरी में होती हैं, इस एक बोरी के शिवराज सरकार 3000 रू. दे रही है, जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार 4000 रू. दे रही है। राहुल, प्रियंका ने कहा है कि हम मप्र में कांग्रेस की सरकार आते ही यहां हम 4000 रू. देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि छाता, साड़ी, जूता, चप्पल खरीदने में भी मंत्री विजय शाह ने 10 करोड़ का घोटाला किया है। जो 140 रुपए का छाता बाजार में मिलता है, वही छाता 229 रुपए में आदिवासियों को बेचा जाता है और बीच का कमीशन खाया जाता है। उन्होंने कहा
मैं याद दिलाना चाहती हूं मीना सिंह मांडवे, जो आदिम जाति कल्याण मंत्री हैं, उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि जो कन्या विवाह की योजना चलती है, आदिवासी क्षेत्रों में उसमें हम घटिया से घटिया निम्न स्तर की सामग्री बांटते हैं।