- नियम विरुद्ध बने प्रभारी प्राचार्य को आखिर किसका है संरक्षण?
- चार-चार वरिष्ठ शिक्षकों के ऊपर कनिष्ठ शिक्षक बना प्रभारी प्राचार्य
स्वतंत्र समय,अटेर/ भिण्ड
शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अटेर में पदस्थ एक अति कनिष्ट शिक्षक कौस्तुभ रंजन को जिले के आला अधिकारियों ने सभी नियमों को ताक पर रखकर विद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनाया है, वरिष्ठ अधिकारियों ने शासन के नियमों की कोई परवाह भी नहीं की और उक्त मामला संज्ञान में आने के बाद उक्त कनिष्ट शिक्षक पर आला अधिकारियों की मेहरबानी बरकरार है। इससे स्पष्ट होता वो कि भिण्ड जिले के शिक्षा विभाग अधिकारी शासन के नियमों की जरा भी परवाह नहीं करते हैं, उनके अपने नियम कानून हैं। यदि परवाह होती तो अपनी गलती को सुधारकर नियम विरुद्ध तरीके से प्रभारी प्राचार्य बनाए गए शिक्षक को हटाकर नियमानुसार वरिष्ठ शिक्षक को प्राचार्य का प्रभार दे दिया गया होता।
जूनियर शिक्षक की पहुंच के आगे संयुक्त संचालक भी पड़ रहे कमजोर
उक्त मामले को दैनिक स्वतंत्र समय द्वारा पूर्व में भी प्रकाशित किया गया था, जिसके लिए मीडिया कर्मी द्वारा संयुक्त संचालक दीपक पाण्डेय का कथन लिया गया था तो संयुक्त संचालक पाण्डेय ने कहा था कि यदि किसी जूनियर शिक्षक को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है तो बिल्कुल गलत है, मैं जिला शिक्षा अधिकारी से बात करूंगा क्या मैटर है? आखिर जूनियर शिक्षक को किस नियम में तहत प्राचार्य का प्रभार दिया गया है? इस सबके बावजूद भी उक्त शिक्षक पर आज तक प्राचार्य का प्रभार है, इससे यह बात भी साबित हो रही है कि कहीं न कहीं एक जूनियर शिक्षक की पहुंच के आगे संयुक्त संचालक भी कमजोर पड़ रहे हैं। जिला कलेक्टर भी आये दिन शिक्षा विभाग में अनियमितता बरतने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं, मगर बावजूद इसके नियम विरूद्ध अटेर विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य बने कौस्तुभ रंजन वहीं पर जमे हुए हैं, आखिर एक कनिष्ठ शिक्षक की इतनी पहुंच है?
जब भी इस संबंध में बात करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी के मोबाइल पर बात करने के लिए कॉल करो उनका तो वो किसी भी कॉल को रिसीव करना जरूरी नहीं समझते हैं। अब देखना होगा कि जिला कलेक्टर नियम विरुद्ध प्रभारी प्राचार्य बने जूनियर शिक्षक को हटाने की कार्रवाई करेंगे या नजरअंदाज करेंगे?