विधानसभा का वोटर असमंजस में, आखिर वोट दें तो किसे दें ! मतदाता मौन अब कौन लगाए पार

स्वतंत्र समय, सतना
जिले की सातों विधानसभा सीट में मुख्य रूप से भाजपा कांग्रेस व बसपा ही मैदान में है यह बात अलग है कि मैहर विधानसभा क्षेत्र में नारायण त्रिपाठी का मुकाबला भाजपा व कांग्रेस से है इन्हीं विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों का चुनावी विश्लेषण कुछ इस प्रकार से किया जा रहा है राजनीति की गुणा गणित लगाने वालों का मानना है कि सात विधानसभा सीटों में दो बहुजन के खाते में जा सकती है शेष 5 सीटों में तीन भाजपा व दो कांग्रेस को सफलता मिल सकती है सबसे पहले सतना विधानसभा क्षेत्र की तासीर जानते हैं

सतना विधानसभा

यहां से भाजपा के उम्मीदवार सांसद गणेश सिंह विकास के नाम पर चुनावी समर जीतना चाहते हैं लेकिन विकास नजर नहीं आ रहा विगत दिनों मुख्यमंत्री ने सतना प्रवास के दौरान पत्रकार वार्ता में कहा कि गणेश सिंह के प्रयास से सतना का बहुत विकास हुआ है संतोषी माता मंदिर तालाब का सौंदर्यकरण प्रमुख है अब बताइए एक 20 साल का सांसद एक तालाब की मेड सजवा देता है जिसे नगर निगम ने बनवाया है उसे मुख्यमंत्री विकास कहते हैं बस यही पर गणेश सिंह जनता के सवालों में घिर जा रहे हैं एक बाईपास मिला है वह भी अधूरा है मेडिकल कॉलेज मिला वह चालू नहीं हो पाया जनता का सबसे बड़ा सवाल यह है कि विकास है। कहां इसी तरह 5 साल के विधायक कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू से भी जनता सवाल कर रही है कि सतना का क्या विकास किया है सिर्फ स्वागत दरवाजे बनवा करके शांत रह गए इसके अलावा कुछ नहीं दिख रहा है। तीसरे प्रत्याशी बसपा उम्मीदवार रत्नाकर चतुर्वेदी जो कि भाजपा छोड़ कर आए हैं इसलिए वह अपने आप में ही सवाल है सिर्फ वादा करके जनता का भरोसा जीतना चाहते हैं अब जातीय समीकरण पर गौर करें तो सतना विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा सामान्य मतदाता है जानकार मानते हैं कि जिसेने सामान्य मतदाताओं को साध लिया वही सिरमौर बन गया वोट काटने वाले और नोटा का बटन दबाने वाले भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकते हैं इसलिए बसपा का जोरदार जनसंपर्क दोनों दलों की धडक़न बढ़ा रहा है।
रीवा का चौमुखी विकास संसद के लिए चुनौती खड़ा कर रहा है: यह बताने की जरूरत नहीं है कि विगत 20 वर्षों में रीवा का बहुत अधिक विकास हुआ है कई बार आरोप लग चुके हैं कि सतना के लिए आया विकास 50 किलोमीटर आगे चला गया इसमें कौन दोषी है विधायक भी रहे सांसद भी रहे जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्र से मंत्री भी रहे लेकिन सतना जिला का विकास नहीं हो पाया इसीलिए भाजपा प्रत्याशी की जीत पर संसय बरकरार है सबसे बड़ा आरोप जातिगत राजनीति करने का संसद पर लगता रहा है बहरहाल अभी जनता का मूड कुछ और करने का है।

कांग्रेस का टूट सकता है आत्मविश्वास

भाजपा उम्मीदवार का विरोध हो सकता है इसका मतलब कांग्रेस जीत रही है यह आत्मविश्वास जनता दरबार में टूट भी सकता है क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी भी जनता के सवालों के घेरे में है वही भीतरघात भी जमकर है रही जातिगत राजनीति करने की तो सिद्धार्थ कुशवाहा पर भी खास समाज के मसीहा माने जाने का आरोप है इसलिए इन आंकड़ों पर भी गौर करना होगा जैसा कि सतना विधानसभा क्षेत्र में 80_ 20 का आंकड़ा है मसलन शहरी क्षेत्र और ग्रामीण मतदाताओं में व्यापारी नौकरी पैसा मजदूर शामिल है इसलिए सिद्धार्थ कुशवाहा को किसका नेता माना जाए कुल मिलाकर कांग्रेस की आसान राह नहीं है ।

हाथी के सहारे रत्नाकर कुछ कर

भाजपा कांग्रेस के दोनों दिग्गज जहां अपनी लाज बचाने जनता की अदालत में पहुंच रहे हैं वहीं बसपा उम्मीदवार रत्नाकर चतुर्वेदी सिर्फ जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं आंकड़ों की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी अब किसी जाति विशेष की पार्टी नहीं रह गई है इसलिए कट्टर मतदाताओं का रुझान रत्नाकर को आशीर्वाद के रूप में मिल सकता है।

इसीलिए अच्छा बीज बोना चाहिए

सालों साल की राजनीति करने वाले जब जनता की अदालत में जाते हैं तो एक झटके में धूल चाट लेते हैं इसका उदाहरण हमारे जिले में स्वर्गीय रामानंद सिंह पूर्व मंत्री हैं जिन्हें फेल होते देखा गया है दरअसल यह उदाहरण सिर्फ एक सांसद गणेश सिंह पर ही लागू होता है क्योंकि 30 साल की राजनीति आज दांव पर लगी हुई है आखिर क्यों विगत 20 सालों से सांसद को अपनी जीत पर संशय होना यह दर्शाता है कि मुझसे कुछ अविस्मरणीय गलतियां हुई है जिनका पाप आज सामने दिख रहा है कौन-कौन सी गलतियां हुई है यह सभी जानते हैं बताने की जरूरत नहीं है जिन पर बीती है वह सब संज्ञान में है कहने का तात्पर्य है कि जनता की सेवा करने के नाम पर जो बीज संसद ने बोया था आज वही काटना पड़ रहा है इसीलिए बीज वही बोंए जिसका सुखद परिणाम निकले।