स्वतंत्र समय, भोपाल
रतलाम से भाजपा विधायक चेतन्य काश्यप ने इस बार भी विधायक को मिलने वाले वेतन-भत्ते नहीं लेंगे। इसकी घोषणा उन्होंने गुरुवार को विधानसभा में की। काश्यप ने कहा कि राष्ट्रसेवा और जनहित मेरा ध्येय है और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं राजनीति में आया हूं। किशोरवस्था से ही समाजसेवा के कार्यों में अग्रसर हूं तथा कई सेवा संस्थानों में प्रकल्प चला रहा हूं। ईश्वर ने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं जनसेवा में योगदान कर सकूं, इसी तारतम्य में मैंने विधायक के रूप में प्राप्त वेतन भत्ते एवं पेंशन नहीं लेने का निश्चय किया है। पिछली दो विधानसभा में भी मैंने वेतन भत्ते ग्रहण नहीं किए थे। इस राशि का राज्य के कोष से आहरण ही न हो ताकि उसका सदुपयोग प्रदेश के विकास एवं जनहित के कार्यों में हो सके।
कमलनाथ अब किस मुंह से सदन में आएं: कैलाश
विस अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने छिंदवाड़ा से विधायक कमलनाथ के सत्र से अनुपस्थित रहने की अनुमति पर सदन की सहमति की सूचना पढ़ी। इस पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इस सदन में नहीं आने लायक तो उनको इनकी पार्टी ने ही बनाया है। उन्हें नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया, अब वे किस मुंह से यहां पर आएं। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार कहा ने कि शायद कैलाश को पता नहीं है, उनके यहां परिवार में गमी हो गई है, इस कारण वे नहीं आ पाए। कांग्रेस के रामनिवास रावत ने अभिभाषण में 48 बार मोदी, पीएम, प्रधानमंत्री और केवल 14 बार सीएम का उल्लेख आया है।
ऐसा लग रहा है कि जैसे मोदी जी द्वारा भेजा हुआ किसी केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में यह अभिभाषण पढ़ा जा रहा है। गोपाल भार्गव ने टोकते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्रत्येक योजना में 60 प्रतिशत और किसी-किसी योजना में तो 90 प्रतिशत तक का योगदान देती है, तो उल्लेख क्यों नहीं होना चाहिए। इस पर रावत बोले कि सही है क्योंकि उल्लेख के बिना काम नहीं चलेगा। अब जो भी चलेगा वहीं से चलेगा, जो नाम जपेगा वही वहां (सीएम के स्थान की ओर से इशारा करते हुए) तक पहुंच पाएगा। मेरी सरकार या मेरा प्रदेश कहा तो आप भी नहीं बचोगे। डा.सीतासरन शर्मा ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आप तो एक ही परिवार की आरती उतारते रहो।