स्वतंत्र समय, ललितपुर
हर एक इंसान चाहता है कि विश्व में शांति हो, सुकून हो, हर कोई सुकून की जिंदगी जी पाये। वास्तविक रूप में यह तभी सम्भव है जब हम अपने अंतर्मन में पहले सुकून ले आयें। उक्त उदगार निरंकारी सदगुरू माता सुदीक्षा महाराज ने 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के शुभारम्भ में मानवता के नाम दिये सन्देश में व्यक्त किए।
सुकून अंतर्मन का शीर्षक पर आधारित यह तीन दिवसीय सन्त समागम निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा, हरियाणा में आयोजित किया गया है जिसमें देश के कोने-कोने से एवं दूर देशों से लाखों की संख्या में उपस्थित होकर इस पावन अवसर का भरपूर आनंद प्राप्त कर रहे हैं। सदगुरु माताजी ने सुकून का जिक्र करते हुए फरमाया कि जब हम स्वयं बेचैन हैं, हमारे अंतर्मन में उथल-पुथल है तो हम कहीं पर भी चले जायें हमें सुकून प्राप्त नहीं हो सकता। यदि हमें सही मायनों में सुकून प्राप्त करना है तो हमें पहले मानवीय गुणों को अपनाना होगा। उसके उपरान्त ही हम समुचे संसार के लिए वरदान बन सकते हैं। हमारे मन में यदि स्वयं के लिए मानवता का भाव नहीं तो हमारे जीवन में चैन, अमन, सुकून नहीं आ सकता।
अंत में सदगुरु माताजी ने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा सुकून परमात्मा को जानकर इसके साथ जुडने में ही है। जब हम निरंकार प्रभू से जुड़ जाते हैं तब हर समय हर स्थान पर केवल इस परमात्मा के ही दर्शन होते हैं और प्रेमभाव से युक्त होकर मन में सुकून धारण कर इसकी लहरों को अपने परिवार, प्रियजनों से होते हुए पूरे देश एवं विश्व में विस्तृत करते चले जायें। उसके उपरान्त दिव्य युगल को एक फूलों से सजाई गई पालकी में विराजमान कर समागम के मुख्य प्रवेश द्वार से मुख्य मंच तक ले जाया गया। निरंकारी इन्स्टिट्यूट आफ म्युजिकल आर्टस के 11 शहरों से आये हुए बच्चों द्वारा गाये जा रहे अभिनंदन गीत के साथ यह पालकी चल रही थी जिसकी अगुवाई संत निरंकारी सेवादल बैण्ड, संत निरंकारी मण्डल की कार्यकारिणी समिति और केंद्रीय नियोजन एवं सलाहकार समिति के सदस्यों द्वारा की गई।
दिव्य युगल को अपने समक्ष पाकर समागम स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु भक्त भावविभोर हो उठे। आनंद से सराबोर सभी श्रद्धालु भक्त अपने भीगे नयनों से और हाथ जोडक़र धन निरंकार के जयघोष के साथ उनका अभिवादन कर रहे थे। भक्तों के अभिवादन को स्वीकार करते हुए दिव्य युगल ने भी अपनी मधुर मुस्कान द्वारा सभी भक्तों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया।
निरंकारी प्रदर्शनी का हुआ आयोजन
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समागम स्थल पर विशाल रूप में निरंकारी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है जिसका मुख्य विषय है सुकून – अंतर्मन का जो समागम का मुख्य विषय है। इस विषय पर आधारित प्रदर्शनी नजर-ए-सुकून, दिदार-ए-सुकून, रहमतें-ए-सुकून, बहार-ए-सुकून, एतबार-ए-सुकून, उम्मीद-ए-सुकून आणि सुकून-ए-सद्गुरु इत्यादि आठ दालन बनाये गए हैं। इस वर्ष प्रदर्शनी को 6 भागों में बांटा गया है द्य विगत 25 अक्तूबर को इस प्रदर्शनी का उद्घाटन सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के करकमलों द्वारा किया गया। उसके उपरान्त से ही इसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।