स्वतंत्र समय, इंदौर
भाजपा महासचिव और इंदौर 1 विधानसभा से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय अब अपने शपथ-पत्र में स्वयं पर दर्ज संगीन आपराधिक मामलों को छिपाने के आरोपों से घिर गए हैं। प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में एक महिला के गैंगरेप के मामले को शपथ-पत्र में उल्लेख नहीं किया है, वहीं छत्तीसगढ़ के दुर्ग के फरार मामले का भी उल्लेख नहीं किया है। कांग्रेस प्रत्याशी ने जिला निर्वाचन अधिकारी पर भी आरोप लगाया है कि उन्होंने राजनीतिक दबाव में कांग्रेस की शिकायत की अनदेखी कर उनका नामांकन होल्ड करने की बजाय मंजूर कर लिया। अब कांग्रेस इस मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रही है। साथ ही उनका नामांकन रद्द करने की मांग की है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय के ऊपर बलात्कार और षडय़ंत्र रचने सहित कई अन्य धाराओं में मामले दर्ज हुए थे। इस पर कैलाश विजयवर्गीय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दाखिल की थी। जिसकी जानकारी कैलाश विजयवर्गीय को होने के बावजूद भी उन्होंने शपथ पत्र में उल्लेख नहीं किया था। वहीं कांग्रेस का इस कहना है कि अगर चुनाव आयोग इस मामले में कार्रवाई नहीं करता तो हम हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था कैलाश को झटका
2021 में बलात्कार मामले में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला निचली अदालत को भेज दिया था और निर्देश दिया कि इस मामले में नए सिरे सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अलीपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास मामले को भेजा। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कैलाश विजयवर्गीय की ओर से दायर याचिका का निपटारा कर दिया है। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद कैलाश विजयवर्गीय, जिष्णु बसु और प्रदीप जोशी के खिलाफ बेहला महिला थाना और भवानीपुर थाने में 20 दिसंबर, 2021 को एफआईआर दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीने पहले हुई सुनवाई में विजयवर्गीय और उनके दो साथियों के खिलाफ रेप केस में जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट को अग्रिम जमानत वाली याचिका पर विचार करने की अनुमति दी है लेकिन आपराधिक मामले पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है।