शहर का मुद्दाः ट्रैफिक में हम स्मार्ट नहीं,  बैंड-बाजा-बारात… पीक अवर्स में मुख्य सड़कों पर थाम रहे यातायात

स्वतंत्र समय, इंदौर

त्योहारी सीजन के बाद देवउठनी ग्यारस के साथ ही मांगलिक कार्यों और विवाह मुहूर्त का दौर शुरू हो गया है। शादियों में निकलने वाली बारात शहर की मुख्य सडक़ों पर पीक अवर्स में निकल कर यातायात का प्रबंधन पूरी तरह से बिगाड़ रही हैं। इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है, ऐसे में स्मार्ट सिटी में वाहन चालक उलझते रहते हैं। वहीं मैरिज गार्डन और बारात घरों में पार्किंग के उचित इंतजाम नहीं होने से वाहन सडक़ों पर पार्क हो रहे हैं जिससे यातायात का दबाव सडक़ों पर बढ़ रहा है। प्रशासन इस ओर ध्यान देने के साथ ही मैरिज गार्डन वालों को अनुशासन में लाए तो काफी हद तक स्थिति सुधर सकती है। बारातियों का नाचते-गाते निकलना कई दफा हादसे का सबब भी बन सकता है। पिछले एक साल में शहर में वाहनों का दबाव तेजी से बढ़ा है। इसके अनुरूप अब बारातों के लिए सख्त प्लान बनाया जाना चाहिए।

पीक अवर्स में होती है समस्या

सबसे ज्यादा समस्या पीक अवर्स में बारात निकलने से हो रही है। खास तौर मुख्य सडक़ों, बायपास और राजमार्ग पर बारात का निकलना तकलीफदेह होता है। यहां सामान्यत: वाहनों की गति भी तेज होती है जिससे बारात अवरोधक बन जाती है और हादसे का अंदेशा भी बना रहता है।

जनरेटर से पर्यावरण को भी नुकसान

अभी भी शहर में पुराने दौर के धुएं वाले डीजल जनरेटर के सहारे बारातों में लाइटिंग व रोशनी का इंतजाम हो रहा है। यह भारी-भरकम जनरेटर शहर की खराब होती आबोहवा में भी बढ़ोतरी कर रहा है। इस पर भी प्रशासन को लगाम लगाना चाहिए।

अस्पतालों के सामने ही बजता है तेज डीजे

बारात के दौरान स्कूलों व अस्पतालों जैसे संवेदनशील स्थानों पर कोलाहल अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है। मिसाल के लिए धार रोड जो राष्ट्रीय राजमार्ग भी है, यहां पर बारातें निकलने के दौरान नियम-कायदे बला-ए-ताक़ हो रहे हैं। जिला अस्पताल के सामने से ही जोर-शोर से डीजे बजता निकल रहा है। मजे की बात यह है कि सामने ही दो बड़े मैरिज गार्डन हैं और पुलिस चौकी भी। इसके बावजूद कार्यवाही को लेकर बारात से लेकर गार्डन संचालक पूरी तरह बेफिक्र हैँ।

बारात के दौरान यह होना चाहिए…

  • बारात निकलने के पहले संबंधित थाना क्षेत्र से अनुमति व रूट की परमिशन लेना चाहिए जैसा कि चल समारोह में थाना, जोन या एसीपी ऑफिस प्रदान करता है।
  • अनुमति मिलने का फायदा यह होगा कि बारात जिस सडक़ से गुजरना है वहां पर संबंधित जवान की ड्यूटी से यातायात संभालने में सहूलियत होगी।
  • वाहनों की पार्किंग के लिए संबंधित मैरिज गार्डन, बारात घर को व्यवस्था के पालन का निर्देश व उल्लंघन पर सख्ती से कार्यवाही हो।
  • ध्वनि व कोलाहल अधिनियम की अनदेखी पर डीजे व बारात पक्ष पर कार्यवाही सख्ती से की जाए।
  • धुएं वाले जनरेटर के इस्तेमाल पर कड़ी चालानी कार्यवाही की जाए।
  • पीक अवर्स में मुख्य सडक़ों पर केवल सांकेतिक बारात यानी सीमित संख्या में बारातियों की ही इजाजत दी जाए।

पुलिस पर आई तो कटा था चार हजार का चालान

इस साल फरवरी में बाणगंगा क्षेत्र में एक बारात के दौरान पुलिस की गाड़ी फंस गई थी। ऐसे में पुलिस प्रशासन को एकदम से सारे नियम कायदे याद आ गए। हुआ यूं था कि नाच-गाने के कारण सडक़ पर दोनों तरफ वाहनों की कतारें लगी थीं। इस दौरान अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) महेशचंद्र जैन का वहां से गुजरना हुआ और वे खुद जाम में अटक गए। एडिशनल सीपी ने वायरलेस सेट पर ही उन पुलिसकर्मियों की खैर ली जो आसपास ड्यूटी पर थे। लवकुश चौराहे पर खड़े सूबेदार बृजराज अजनार को तो मौके पर बुला लिया। एडिशनल सीपी ने न सिर्फ बरातियों को फटकारा बल्कि डीजे वाली गाड़ी साइड में खड़ी करवा दी। गाना बजाना बंद करवाया और कतार में लगे वाहनों के लिए रास्ता खुलवाया। सूबेदार ने डीजे वाली गाड़ी (एमपी 09जीए 7760) के चालाक अंकित जायसवाल पर चार हजार रुपए जुर्माना भी लगाया।