स्वतंत्र समय, इंदौर
चुनावी रण 2023
शुजालपुर विधानसभा सीट में वोटर्स
- कुल वोटर 1,87,184
- पुरुष वोटर 98,115
- महिला वोटर 89,067
शुजालपुर सीट अप्रत्याशित परिणाम देने के लिए जानी जाती है। चालीस साल पहले से लेकिन पिछले चुनाव में यह बात देखने में आई है। जनता पार्टी के इमरजेंसी में चुनाव जीतने के बाद 1980 में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस ने तगड़ी वापसी की थी लेकिन शुजालपुर में भाजपा ने न सिर्फ जीत हासिल की बल्कि 13 साल तक यानी 1977 से 1990 तक कांग्रेस को इस सीट पर मौका नहीं मिला। वहीं पिछले चुनाव में जब कांग्रेस की लहर थी तब भी यहां से भाजपा प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहा। बड़ी बात यह थी कि भाजपा ने यहां से हाड़ा की बजाय सीट बदलकर इंदर सिंह परमार को आजमाया था। इसके बाद भी वे जीत कर स्कूल शिक्षा मंत्री के बतौर काबिज हुए। हालांकि इस बार भाजपा के लिए परमार पर दांव आजमाना आसान नहीं होगा। वजह मंत्री परिवार की बहू का पिछले साल का चर्चित सुसाइड केस। बताया जाता है कि पारिवारिक कारणों के चलते बहू ने फांसी लगाई थी। इधर कांग्रेस परमार को जबर्दस्त फाइट देने वाले रामवीर सिंह सिकरवार पर ही भरोसा कर सकती है। जिले में आने वाली शुजालपुर सीट ही वो हाई प्रोफाइल सीट है जहां पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, जबकि अन्य दोनों सीटें कांग्रेस के पास है। बीजेपी के इंदर सिंह परमार यहां से विधायक हैं। कांग्रेस इस सीट पर बीस साल से जीत के लिए तरस रही है।
पिछला चुनाव कांटेदार था
2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर कांटेदार मुकाबला हुआ था। यहां पर कुल 10 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी। भाजपा के इंदर सिंह परमार को 78,952 वोट मिले तो कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार के खाते में 73,329 वोट मिले थे। दोनों के बीच कांटेदार मुकाबला हुआ था और इंदर सिंह परमार को 5,623 मतों के अंतर से जीत मिली थी। बीएसपी यहां पर तीसरे नंबर पर रही थी।
राजपूत और परमार बाहुल्य सीट
शुजालपुर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो यहां पर राजपूत और परमार बिरादरी के वोटर्स निर्णायक की भूमिका में रहते हैं। इस क्षेत्र में इस बिरादरी के करीब 50 हजार वोटर्स हैं। इनके अलावा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के वोटर्स के साथ-साथ मुस्लिम वोटर्स की भी अच्छी खासी तादाद है।
राहुल ने जनआक्रोश यात्रा संबोधित की
राहुल गांधी ने पिछले दिनों यहां सभा में कहा कि जहां भी हमारी सरकार है, हमने वहां किसानों का कर्जा माफ किया। हम यहां भी वही काम कर रहे थे लेकिन फिर बीजेपी ने धोखे से आपकी सरकार चोरी कर ली. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी चुने हुए लोगों के लिए काम करती है। राज्य में किसानों के आत्महत्या की संख्या बढ़ रही है लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।
ट्रेंड बदलने वाली सीट
इस सीट के इतिहास की बात करें तो 1977 में जनता पार्टी के कुमार शर्मा ने जीत हासिल की। 1980 में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस ने वापसी की थी लेकिन शुजालपुर अपवाद रही। यहां 1980 में भाजपा के शैल कुमार शर्मा ही विधायक बनने में कामयाब हुए। उन्होंने कांग्रेस के शायद लाल को हराया। आखिर 1985 में कांग्रेस को मौका मिला और विद्याधर जोशी ने जीत हासिल की। 1990 में कांग्रेस के झुमुकलाल ने जीत हासिल की। 1993 में भाजपा के नीमचंद जैन विजयी हुए। वहीं इसके अगले चुनाव में कांग्रेस के केदार सिंह मंडलोई ने भाजपा के नीमचंद जैन को 29 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर अपनी जीत दर्ज की।
2003 से भाजपा का राज
दो दशक से इस सीट पर भाजपा का राज है। 2003 में भाजपा के कुंवर सिंह मेवरा ने जीत हासिल की और कांग्रेस के केदार सिंह मंडलोई को पराजित किया। मंडलोई 1998 में विधायक रहे थे। 2008 में भाजपा के जसवंत हाड़ा और कांग्रेस के महेंद्र जोशी आमने-सामने थे। हाड़ा 10414 वोटों से पराजित हुए थे। 2013 में दोबारा यही जोड़ी रिपीट हुई और हाड़ा इस बार 8 हजार से ज्यादा वोटों से जीते। 2018 में भाजपा ने इंदर सिंह परमार को आजमाया। हालांकि भाजपा का वोट शेयर कम हुआ और परमार को रामवीर सिकरवार पर संघर्षपूर्ण जीत मिली।
इस बार सीटर पर ये दावेदार
शुजालपुर में मौजूदा स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार विधायक हैं। पिछली बार इनकी विधानसभा सीट बदल दी गई थी। उसके बावजूद जीत हासिल करने में सफल रहे थे। इस सीट पर बीजेपी की ओर से जसवंत सिंह हाडा और जमना प्रसाद परमार भी दावेदारी कर रहे हैं। दोनों नेता जमीन से जुड़े हुए हैं। कांग्रेस को सिकरवार में सुरक्षित संभावना नजर आ रही है। वहीं महेंद्र जोशी और योगेंद्र सिंह बंटी भी अन्य दावेदार हो सकते हैं।
सिकरवार ने लगाया था जनसंपर्क रोकने का आरोप
सिकरवार ने पिछले चुनाव में आरोप लगाया कि कांग्रेस को मिल रहे समर्थन को देखकर भाजपा प्रत्याशी व सीएम बौखला गए हैं। यही वजह है कि वे अलग-अलग तरीके से जनसंपर्क रोकना चाहते हैं। सिकरवार ने कहा पहले अनावश्यक तरीके से नामांकन पर भाजपा प्रत्याशी इंदरसिंह परमार ने आपत्ति दर्ज कराई। फिर सीएम ने स्तरहीन बयान दिए। इसके बाद भी उनका मन नहीं भरा तो अब वे अधिकारियों के माध्यम से जनसंपर्क रोकने के प्रयास में जुटे हैं।