स्वतंत्र समय, अशोकनगर।
शुक्रवार को पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है। श्राद्ध पक्ष आगामी 14 अक्टूबर तक चलेंगे। उल्लेखनीय है कि हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व है। पितृ पक्ष को ही श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है। इसमें पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष की शुरूआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होती है जो अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहती है। पहले ही दिन से सनातनधर्मियों ने जलस्त्रोतों पर पहुंचकर पितरों को जल अर्पित किया। उल्लेखनीय है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितृों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पक्ष में विधि-विधान से पितर संबंधित काम करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। उल्लेखनीय है कि जिस तिथि में परिजनों की मृत्यु होती है उस तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है इसे सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध योग माना जाता है। पितृ दोष दूर करने के लिए भी अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों का स्मरण कर पिण्डदान करते हुए उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।