सज गया अहंकारी कंस का दरबार, दशमी पर लाठियों से किया जाएगा वध

 स्वतंत्र समय, शाजापुर
शहर में भव्य रूप से मनाए जाने वाले अनूठे प्राचीन और ऐतिहासिक कंस वधोत्सव के आयोजन को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं और इसीके चलते सोमवारिया बाजार कंस चौराहे पर अहंकारी कंस का पुतला तैयार कर गत दिनों बैठा दिया गया है। देश में मथुरा के बाद शाजापुर शहर में बड़े पैमाने पर कंस वधोत्सव का आयोजन किया जाता है और इस कार्यक्रम को देखने के लिए शाजापुर के अलावा प्रदेश के कई जिलों से लोग आते हैं। गौरतलब है कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी पुरानी परंपरा का निर्वहन कर आगामी कंस दशमी को कंस का वध किया जाएगा। आयोजन के सफल संचालन को लेकर रूपरेखा तैयार करली गई है।
कंस वधोत्सव समिति सदस्यों ने बताया कि कंस एवं श्रीकृष्ण और उनकी सेना के बीच जबरदस्त वाकयुद्ध होगा। इसके बाद रात पुराना अस्पताल स्थित बालवीर हनुमान मंदिर से पारंपरिक चल समारोह शुरू होगा। चल समारोह में युवकों एवं वरिष्ठजनों को श्रीकृष्ण तथा कंस के रूप में सजाया जाएगा। साथ में दोनों की सेना भी होगी जिसमें कृष्ण-कंस के अलावा बलराम, मनसुखा आदि शामिल होंगे। आजाद चौक में जमकर वाकयुद्ध होगा फिर चल समारोह नई सडक़ मगरिया होता हुआ सोमवारिया पहुंचेगा जहां कंस के वध के पूर्व वाद-संवाद होगा। रात 12 बजे कंस के पुतले को लाठियों से पीटते हुए मंच से नीचे गिराया जाएगा, इसके बाद यादव समाज के लोग पुतले को घसीटते हुए अपने साथ ले जाएंगे।
शहर में इस बार कंस वधोत्सव की परंपरा का 274वां साल है। सोमवारिया बाजार स्थित पुष्टीमार्गीय श्रीगोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया स्व मोतीरामजी मेहता गेबीजी द्वारा उक्त कार्यक्रम की स्थापना की गई थी। लगभग 273 वर्ष पूर्व मुखिया स्व मेहता ने मथुरा में कार्यक्रम आयोजित होते हुए देखा और कंस के वधोत्सव कार्यक्रम को शाजापुर में आयोजित कराने की ठानी। इसके बाद से मेहता परिवार द्वारा कंस वधोत्सव की व्यापक तैयारियां की जाने लगीं। करीब 125 साल तक मंदिर में कंस लीला का आयोजन होने लगा।
बाद में इस ऐतिहासिक कंस वधोत्सव कार्यक्रम ने सार्वजनिक रूप ले लिया और तभी से यह कार्यक्रम कंस चौराहे पर आयोजित हो रहा है। यह कार्यक्रम दीपावली के पश्चात आने वाली दशमी को मनाया जाता ह जिसे कंस दशमी के नाम से जाना जाता है।