सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, नपा मौन, अधिकारियों की मिलीभगत से दबंगों के हौसले बुलंद

स्वतंत्र समय, शहडोल

संभाग मुख्यालय शहडोल नगर से लेकर जिले के कोने कोने तक सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण किए जाने का सिलसिला आज भी चल रहा है, लेकिन जिला प्रशासन इसके खिलाफ अभियान चलाने की बजाय पंगु बना बैठा है। मुख्यालय में जिला पंचायत के सामने पाली रोड पर वर्षों से दूकानदारों का कब्जा है, लेकिन उसे हटाया नहीं जा रहा है। इसी तरह सार्वजनिक स्थानों में सर्वाधिक अतिक्रमण देखा जा रहा है। जयसिंहनगर बस स्टैण्ड का हाल तो बेहाल ही है। छोटी सी जगह पर दर्जनों की संख्या में अतिक्रमण किए गए हैं। यहां एक भाजपा नेता ने अपनी बहुमंजिली इमारत ही तान रखी है। पुरानी आवंटित दूकानों को उनका स्वरूप बदला जा रहा है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा सा है।

जगह बढ़ाकर तानी इमारत

बताया गया कि जयसिंहनगर बस स्टैण्ड में अतिक्रमण की होड़ सी लगी हुई है। यहां नगर के सभ्रांत और भाजपा नेता ने एक जगह हथिया कर उसमें बड़ा निर्माण कार्य कराया है। उन्होने होटल दूकान बनवाई है। कई लोगों ने पहले ठेला लगाने के नाम पर थोड़ी सी जगह ले ली फिर उसे थोड़ा और बढ़ा लिया फिर उसमें पक्का निर्माण करा लिया। पूरे बस स्टैण्ड और उसके आसपास करीब 50-60 अतिक्र मण हैं। अगर कड़ाई से अभियान चल जाए तो बस स्टैण्ड में काफी जगह खाली हो सकती है। कुछ लोगों ने तो पूर्व की आवंटित दूकानों को तोड़ कर उनका स्वरूप ही बदल दिया है। जो कि नियमविरुद्ध है, इस पर भी कोई कार्रवाई नहंी की जा रही है।

नगरीय निकाय उदासीन

नगरीय निकाय कार्यालय के आसपास जमकर अतिक्रमण किया गया लेकिन उसने कभी कोई हस्तक्षेप नहीं किया। बताया गया कि अतिक्रमण नगरीय निकाय की शह पर ही किया गया है। इसके लिए अतिक्रमण करने वालेां नेे नगरीय निकाय के अधिकारियों की मुट्यिां गर्म की हैं। इसलिए अधिकारी सब देखते हुए भी आंख मूंदे बैठे रहे और आज भी बैठे ही हैं। बस स्टैण्ड की हालत में तो सुधार हुआ नहीं उल्टा अतिक्रमण कराकर जगह भी कम कर दी गई। इसी तरह बस स्टैण्ड में साफ सफाई भी शायद ही कभी कराई जाती होगी।

आज तक नहीं हुआ जमीन का हस्तांतरण

एक जानकारी के अनुसार जयसिंहनगर की बस स्टैण्ड भूमि पूर्व में ग्रामपंचायत की भूमि थी। नगरीय निकाय के अस्तित्व में आ जाने के बाद इस भूमि के देखरेख की जिम्मेदारी तो नगरीय निकाय पर आ गई लेकिन जमीन का हस्तांतरण चूंकि नजूल से नगरीय निकाय के नाम नहीं हुआ इसलिए यह भूमि आज भी ग्रामपचंायत के ही रिकार्ड में दर्ज है। इसीलिए यहंा के दूकानदार आज भी ग्रामपंचायत को भाड़ा देते हैं वह भी उस जमाने के हिसाब से 10-20 रुपए ही। नगरीय निकाय न तो जोर डालकर किराया संशोधित कर पा रहा है और न बस स्टैण्ड का विकास कर पा रहा है। क्योंकि यह सब अपनी भूमि में ही संभव हो सकता है।

इस कारण भी बढ़ा है अतिक्रमण

बस स्टैण्ड के अलावा रीवा शहडोल मार्ग पर भी कुछ जमीने आज तक ्रग्रामपंचायत के रिकार्ड  में दर्ज है, इसलिए लोग मनमाना कब्जा कर लेेते हैं और उसका व्यावसायिक लाभ उठाते हैं। नगरीय क्षेत्र होने के कारण इस पर न तो ग्रामपंचायत का केाई अख्तियार रह गया है और न नगरीय निकाय कुछ कर पा रहा हैै। उसे सबसे पहले जगह चिन्हित कर हस्तंातरण की प्रक्रिया करनी चाहिए। यह कार्य दशकों के अंतराल में भी नहीं कराया जा सका।