सिंधिया खैमे की प्रतिष्ठा दांव पर, पहली बार कांग्रेस सिंधिया फेक्टर के बिना लड़ रही है चुनाव

स्वतंत्र समय, शिवपुरी

शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों में सबसे जोरदार घमासान पोहरी विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। इस सीट पर सिंधिया के साथ भाजपा में आए प्रदेश सरकार के लोकनिर्माण रा’य मंत्री सुरेश राठखेड़ा त्रिकोणीय संघर्ष में बुरी तरह फंसे हुए हैं। उनके सजातीय बसपा उम्मीदवार ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिले की शेष चार सीटों शिवपुरी, कोलारस, पोहरी और करैरा में जोरदार घमासान देखने को मिल रहा है। इन सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा संघर्ष है।

पहलीबार कांग्रेस सिंधिया फेक्टर के बिना चुनाव लड़ रही है। सिंधिया खैमे के दोनों धु्रव भाजपा के साथ हैं। ऐसे में चुनाव परिणामों पर सिंधिया खैमे की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। शिवपुरी जिले की पांच सीटों में से दो सीटें पोहरी और करैरा ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इन दोनों सीटों में से भाजपा ने पोहरी सीट पर सिंधिया समर्थक उम्मीदवार सुरेश राठखेड़ा को चुनाव मैदान में उतारा है। श्री राठखेड़ा 2018 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर विजयी हुए थे। बाद में मार्च 2020 में वह सिंधिया के साथ भाजपा में आए और इस्तीफा देकर उन्होंने उप चुनाव लड़ा जिसमें वह 20 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए।

श्री राठखेड़ा किरार जाति के हैं जिसके इस निर्वाचन क्षेत्र में 40 हजार से अधिक मतदाता है। जिले का यह एक मात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र हैं जिसमें या तो किरार अथवा ब्राह्मण उम्मीदवार ने ही विजय हांसिल की है। जातिगत आधार पर सुरेश राठखेड़ा मजबूत माने जाते हैं, लेकिन इस चुनाव में उनके विरोध में उनकी जाति के प्रद्युम्न वर्मा ने बसपा उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक दी है। प्रद्युम्न कांग्रेस से टिकिट मांग रहे थे और टिकिट न मिलने पर वह बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि प्रद्युम्न वर्मा को पोहरी में राठखेड़ा के पार्टी में कुछ प्रभावशाली विरोधी खुलकर समर्थन कर रहे हैं। इससे श्री राठखेड़ा के जातिगत मतों में जबर्दस्त सेंध लगी है। जिसका फायदा कांग्रेस उम्मीदवार कैलाश कुशवाह उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। श्री कुशवाह तीसरीबार पोहरी से चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 और मार्च 2020 में वह बसपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन इस बार उन्हें कांग्रेस ने टिकिट दिया है। पोहरी निर्वाचन क्षेत्र के गांव-गांव में भाजपा उम्मीदवार सुरेश राठखेड़ा को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों में उन्हें घुसने नहीं दिया वहीं एक मतदाता ने तो उनका अंगूठा चबा दिया। ऐसी स्थिति में उन्हें पोहरी से चुनाव जीतना एक बहुत बड़ी चुनौती है। करैरा में भाजपा ने उप चुनाव में खड़े हुए सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक जसमंत जाटव का टिकिट काट दिया और उनके स्थान पर 2008 के चुनाव में जीते रमेश खटीक को टिकिट दिया है।

कांग्रेस ने यहां से उप चुनाव में विजयी हुए प्रागीलाल जाटव को उम्मीदवार बनाया है। जिनकी अपनी जाति में मजबूत पेंठ बताई जाती है। सूत्रों के अनुसार भाजपा में इस क्षेत्र में भितरघात देखा जा रहा है। जिसका कांग्रेस उम्मीदवार को फायदा मिल रहा है। जहां तक छवि का सवाल है भाजपा उम्मीदवार रमेश खटीक और कांग्रेस उम्मीदवार प्रागीलाल जाटव की छवि साफ सुधरी बताई जाती है। इस निर्वाचन क्षेत्र में पलड़ा किसी भी ओर झुक सकता है। अंतिम समय में जो प्रत्याशी मतदाता का दिल जीतने में सफल रहेगा उसे सफलता मिलेगी। जिले की तीन सीटें शिवपुरी, कोलारस और पिछोर गुना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां तक शिवपुरी सीट का सवाल है कांग्रेस ने यहां से केपी सिंह को उम्मीदवार बनाया है। केपी सिंह 199& से लगातार पिछोर से जीत रहे हैं, लेकिन इस बार वह पिछोर छोड़कर शिवपुरी आए हैं। भाजपा ने 199& में शिवपुरी से विजयी हुए देवेन्द्र जैन को टिकिट दिया है। देवेन्द्र जैन कोलारस से टिकिट के दावेदार थे वह यहां से 2008 में विधायक रह चुके हैं। परन्तु शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव लडऩे से इन्कार करने के कारण देवेन्द्र को टिकिट दिया गया है। इस विधानसभा क्षेत्र में जोरदार घमासान देखने को मिल रहा है।

शिवपुरी भाजपा की एक मजबूत सीट मानी जाती है इसके बाद भी कांग्रेस यहां मुकावले में बनी हुई है तो इसका मुख्य कारण यह है कि केपी सिंह निम्न तबके में अ’छी पकड़ रखते हैं। दबंग छवि के माने जाने वाले केपी सिंह इस समय एक-एक कदम नापतौल कर रख रहे हैं यहां तक कि वह अपने विरोधियों के बारे में भी एक शब्द नहीं कह रहे हैं। शहर में भी वह जनसंपर्क कर अपना आधार मजबूत करने में लगे हुए हैं। जहां तक भाजपा प्रत्याशी का सवाल है शहरी क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है। ग्रामीण क्षेत्रों में यदि उन्होंने अपना आधार बढ़ाने में सफलता हांसिल की तो वह भाजपा की झोली में यह सीट डाल सकते हैं। कोलारस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने सिंधिया समर्थक महेन्द्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। श्री यादव 2008 में भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी से पराजित हुए थे। श्री रघुवंशी ने भाजपा छोड़ दी है और वह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस ने यहां से सिंधिया के साथ भाजपा में आए बैजनाथ सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। इस विधानसभा क्षेत्र में दोनों उम्मीदवारों के बीच जबर्दस्त संघर्ष देखने को मिल रहा है।

कोलारस में यादव मतदाताओं की संख्या लगभग &0 हजार है और देखना यह है कि इनमें से अधिसंख्यक यादव मतों का झुकाब किस ओर होता है। इस क्षेत्र में &0 हजार धाकड़ मतदाता भी है। ऐसे में धाकड़ मतों के धु्रवीकरण पर तय होगा कि कोलारस से विजय किसे हांसिल होती है। पिछोर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने दो बार से पराजित हो रहे प्रीतम लोधी को टिकिट दिया है। दोनों चुनाव में वह मजबूती से लड़े और 2018 में वह मात्र 2500 मतों से पराजित हुए। इस बार उनके विरोधी उम्मीदवार केपी सिंह ने पिछोर छोड़ दिया और कांग्रेस ने यहां अरविन्द लोधी को उम्मीदवार बनाया है। इस क्षेत्र में 60 हजार से अधिक लोधी मतदाता है। लोधी मतों का झुकाव पिछोर में जीत हार को तय करेगा।