विपिन नीमा, इंदौर
मध्य प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा की सभी 230 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। सियासी समीकरण किस करवट बैठेंगे और अगले 5 साल तक प्रदेश की बागडोर कौन संभालेगा, यह तो 3 दिसंबर के बाद ही पता चलेगा। चुनाव प्रचार की चर्चा करें तो इस बार प्रचार में बहुत बदलाव दिखे। प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में झंडे, बैनर और पोस्टर से ज्यादा सोशल मीडिया के व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम का खुद उपयोग किया। इसी प्रकार प्रत्याशियों ने प्रचार के दौरान फ्लैट में रहने वाले मतदाताओं से नीचे से ही हाथ जोडक़र दुआ- सलाम की। इस बार प्रत्याशी पैदल कम खुली जीप में ज्यादा जनसंपर्क करते देखे गए। 2018 के चुनाव की तुलना में चुनाव थोड़ा मुश्किल भरा रहा, क्योंकि जब चुनाव चरम सीमा पर था , तब लोग घर-दुकानों में दीपावली की रंगाई, पुताई और सफाई में व्यस्त थे। ऐसी स्थिति में प्रत्याशियों का जनसंपर्क पूरी तरह प्रभावित रहा। हालांकि वॉशिंग परसेंट है तो बहुत अच्छा हुआ, लेकिन यह आकलन करना मुश्किल है की इस बार किसकी सरकार बनेगी।
दोनों पार्टियों के बड़े चेहरों के जीतने एवं हारने की चर्चा ज्यादा
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद अब जीत-हार को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। भाजपा एवं कांग्रेस के बड़े चेहरों के चुनाव जीतने एवं हारने की चर्चा ज्यादा है। देखा जाए तो पूरे प्रदेश में इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। यहाँ कैलाश विजयवर्गीय और संजय शुक्ला आमने सामने थे। इस चुनाव में धन, बल, ताकत, शक्ति प्रदर्शन, शोर शराबा, टेंशन, भीड़ सब कुछ देखने को मिला। इन सब के बीच किसका भाग्य चमकेगा,इसका खुलासा ईवीएम खुलने पर पता चलेगा।
न खुली जीप से उतरे और न ही फ्लैट में रहने वालों से सीधे मिल पाए
इस बार चुनाव में प्रत्याशियों की उम्र का असर साफ देखने को मिला। उम्रदराज प्रत्याशियों ने पैदल कई बजाय खुली जीप या कार से जनसंपर्क किया। विशेष मोकों पर ही वे गाड़ी से उतर कर मतदाताओं से मिले होंगे। इसी प्रकार बहुइमारत इमारतों के फ्लैट में रहने वाले मतदाताओं से प्रत्याशियों का मिलना कम ही हुआ है। वे नीचे से ही हाथ जोडक़र दुआ सलाम करते रहे। कई बहुमंजिला इमारतों की लिफ्ट नहीं होना या खऱाब होना भी प्रत्याशियों के लिए एक बड़ी समस्या थी। इस बार अधिकांश प्रत्याशी 60 + या इससे अधिक उम्र के हैं।
अधिकांश प्रत्याशियों के पास थी सोशल मीडिया टीम
इस बार इंदौर में विभिन्न पार्टियों के 92 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। पहले चुनाव प्रचार करने का अलग तरीका होता था।, पार्टी के 100 -200 नेता, कार्यकर्ता और समर्थक प्रत्याशी के साथ घर घर जाकर जनसंपर्क करते थे। इस दौरान कार्यकर्ता हाथों में झंडे और बैनर लेकर नारेबाजी करते हुए गली मोहल्लों में घूमते थे, लेकिन समय के साथ साथ जनसम्पर्क करने का तरीका भी बदल गया। इस बार प्रत्याशियों ने प्रचार में झंडे, बैनर और पोस्टर से ज्यादा सोशल मीडिया की विभिन्न साइटों फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम का ज्यादा से इस्तेमाल किया।