स्वतंत्र समय, शहडोल
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट वंदना वैद्य ने शहडोल जिले की राजस्व सीमा में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। कलेक्टर ने शहडोल जिले की राजस्व सीमा के भीतर 15 नवम्बर को शाम 6.00 बजे से 17 नवम्बर को शाम 6:00 बजे तक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते हुए कहा है कि राजनैतिक सभा, बैठक, रैली, जुलूस आदि का आयोजन पूर्णत: निषिद्ध रहेगा, सार्वजनिक स्थानों पर एक साथ पॉंच या पॉंच से अधिक व्यक्तियों का जमाव अथवा समूह बनाकर चलना प्रतिबंधित रहेगा, किन्तु अभ्यर्थियों द्वारा किये जाने वाले घर-घर जनसम्पर्क कार्यक्रम, इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे, ऐसे व्यक्ति जो निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं है, उक्त अवधि प्रारंभ होते ही निर्वाचन क्षेत्र छोड़ देगें, उक्त अवधि में कल्याण मण्डपों, सामुदायिक भवनों,लॉज, अतिथिगृह के संचालकों द्वारा आगन्तुकों का रजिस्टर संधारित किया जायेगा तथा मतदान केन्द्र में बाहर से जाने वाले व्यक्तियों की जानकारी सत्यापन हेतु तत्काल स्थानीय पुलिस थाना से साझा की जाएगी, उपरोक्त अवधि में किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग पूर्णतरू प्रतिबंधित रहेगा, इस अवधि के दौरान किसी भी व्य क्ति, अभ्य र्थी अथवा राजनैतिक दल को किसी चिकित्सालय,शैक्षणिक संस्थाओं,मतदान केन्दों से 200 मीटर के दायरे में दल,अभ्यार्थी का कार्यालय खोलने की अनुमति नहीं रहेगी।
उक्त अवधि में प्रिंट मीडिया में राजनैतिक विज्ञापन हेतु संबंधित अभ्यर्थी,राजनैतिक दल, अन्य व्यक्तियों को कम से कम दो दिवस पूर्व आवेदन कर विज्ञापन का पूर्व प्रमाणन कराना आवश्यक होगा। उल्लंघन पाये जाने पर संबंधितों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान 1860 के प्रावधानों के तहत अभियोजन की कार्यवाही की जा सकेगी। जारी आदेश में कहा गया है कि प्रचार प्रयोजन हेतु जारी समस्त वाहनों की अनुमतियां स्वत: निरस्त हो जायेंगी तथा मतदान दिवस के लिये अभ्यर्थी,उनके निर्वाचन अभिकर्ता,कार्यकर्ता के लिये अधिकतम तीन वाहनों की अनुमति पृथक से प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इस प्रकार प्राप्त की गई अनुमत्ति के सभी तीनों वाहनों की विन्ड स्क्री न पर मूल परमिट चस्पा करना अनिवार्य होना।, अभ्यर्थियों, राजनैतिक दलों को किसी भी प्रकार के वाहनों से मतदाताओं के परिवहन की अनुमति नहीं होगी। ऐसा करते पाये जाने पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 133 एवं लोक प्रतिनिधित्व 1951 की धारा 123(5) के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी, मतदान केन्द्र से 100 मीटर के दायरे में किसी भी राजनैतिक दल अभ्यर्थी के प्रचार से संबंधित झण्डे, बैनर, पोस्टर, फ्लैक्स इत्यादि लगाना पूर्णत: निषिद्ध रहेगा, मतदान केन्द्र पर तैनात किये जाने वाले सुरक्षा बल को छोडक़र किसी अन्य व्यक्ति, अभ्यर्थी या राजनैतिक दल के पदाधिकारियों को मतदान केन्द्र से 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र लेकर जाना पूर्णत निषिद्ध रहेगा, उक्त अवधि में किसी भी समय आयोजित किसी भी ओपिनियन पोल, एक्जिट पोल का कोई भी परिणाम किसी भी तरीके से प्रिंट या इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा, उक्त अवधि में इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया जैसे- वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर(एक्सै), इंस्टाग्राम से मैसेज, पिक्चर, आडियो-वीडियो के माध्यम से चुनाव प्रचार-प्रसार पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा तथा इन माध्यमों से फेक न्यूज, भ्रमात्मक जानकारी फैलाना पाये जाने पर संबंधितों के विरूद्ध साइबर काइम (इन्फाफर्मेशन टेक्नाालाजी एक्ट 2000) की धारा-66 ए एवं भारतीय दंड विधान 1860 के तहत अभियोजन की कार्यवाही की जा सकेगी, मतदाताओं पर अनुचित दबाव बनाने भय पैदा करने, प्रलोभन स्वरूप विभिन्न वस्तुयें, नकद धनराशि बांटने, पारितोषिक देने, निर्वाचन में असम्यक असर डालने वाले कृत्य सभी राजनैतिक दलों, अभ्यर्थियो अन्य व्यक्तियों के लिये पूर्णत वर्जित रहेगें। उल्लंघन पाये जाने पर भारतीय दंड विधान 1860 की धारा 171 (बी) एवं (सी) के तहत अभियोजन की कार्यवाही प्रारंभ की जा सकेगी, मतदान केन्द्र में कर्तव्यरूढ़ अधिकारियों/कर्मचारियों एवं सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त अधिकारियों को छोडक़र अन्य किसी व्यक्ति अथ्यिर्थी अथवा राजनैतिक दल के प्रतिनिधि को मतदान केन्द्र में मोबाइल फोन, सेलुलर फोन, अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस लेकर प्रवेश वर्जित रहेगा। मतदान केन्द्र में मतदान कर्मी एवं माइको-आब्जर्वर अपना मोबाइल फोन सायलेन्ट मोड में रख सकेंगे, अभ्यर्थी/राजनैतिक दलों द्वारा आम मतदाता की सुविधा हेतु अपने स्तर से वितरित कराई जाने वाली मतदाता पर्चियां सादे एवं सफेद कागज में मुद्दित कराई जावेगी तथा इन पर्चियों पर अभ्यर्थी, राजनैतिक दल का नाम एवं चुनाव चिन्ह मुद्रित कराना पूर्णत: निषिद्ध रहेगा।
हार जीत की तस्वीर साफ नहीं, चर्चा का बाजार गर्म
विधानसभा चुनावों के लिए चल रहा प्रचार शोरगुल बुधवार 15 नवंबर की शाम 5 बजे थम गया। इसके बाद से सडक़ों पर चुनावी वाहनों की आपाधापी बंद हो गई। इस बार वैसे भी न प्रचारों का अंधड़ चला न कहीं तहलका मचा। सारा अभियान बड़ी किफायत के साथ एक सीमित दायरे के अंदर निपटा लिया गया। संभाग मुख्यालय शहडोल शहर में दो चार आटो रिक्शा किराए पर लेकर प्रचार प्रसार की औपचारिकता पूरी कर ली गई। वाहनों में भी न समर्थकों की जरूरत पड़ी न प्रचारकों की सारा काम टेप रिकार्डर ने कर दिया। पूर्व की भांति इस बार के चुनाव भी मुख्यतया भाजपा व कांग्रेस दो दलों के बीच ही हैं। इन दोनो पार्टियों में इस बार भीड़ व संसाधनों की कमी रही।
प्रचार में लगा विराम
17 नवंबर मतदान तिथि के 48 घंटे पहले निर्वाचन आयोग के निर्देशों के परिपालन में प्रचार अभियान बंद कर दिया गया है। प्रत्याशी अब केवल निजीरूप से घर घर संपर्क कर सकेंगे। वाहनों का शोर अब सुनाई नहीं पड़ेगा। इस बार स्टार प्रचारकों व बड़े नेताओं की आम सभाएं भी नहीं कराई गईं। मतदाताओं का कोई रूझान समझ में नहंी आ रहा है। वैसे दोनों दलों के प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर सशंकित ही हैं। राजनीति के जानकार कहते हैं कि मतदान के दिन वोटिंग के परसेंटेेज से कुछ अनुमान लगाया जा सकता है, अभी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
फिजूल खर्ची पर कसी लगाम
चुनावों केा लेकर शहर में चर्चा का बाजार गर्म है। लोग आपस मेें तरह तरह से अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। कुुछ लेाग जहां प्रचार अभियान का ठंडापन देखकर इसे पार्टियों की निराशा व आपसी फूट सेे जोड़ते हैं वहीं कुछ लोग इसे पार्टियों की किफायत मान रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टियों ने चुनावों को अपेक्षाकृत अधिक सरल और सादा बनाने का प्रयास किया है। इसीलिए इस बार न तो वाहनों के काफिले दिख रहे हैं न पोस्टर, बैनरों का मेंला दिख रहा है। वाहनों का किराया, तेल का खर्च और पोस्टर बैनरों की छपाई का खर्च सब अनावश्यक मान लिया गया है। चुनावों को सस्ते ढंग से निपटाने का प्रयास किया गया है।
स्थिति नहीं दिख रही स्पष्ट
चुनाव की तिथि भले ही करीब आ गई हो लेकिन इस बार जीत हार की कोई तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पा रही है। दोनो दलों का हाल यह हैै कि उनके प्रत्याशी संसाधनों व सहयोग के बिना स्वंय को अकेला व मन ही मन असुरक्षित समझ रहे हैं। समर्थकों की टीम व स्थानीय नेताओं का जत्था उनके साथ भ्रमण पर नहीं चल रहा है। इस समय तक प्रत्याशी के पक्ष में वातावरण निर्मित हो जाना चाहिए था। लेकिन अभी तक 50 फीसदी क्षेत्र का भी भ्रमण नहीं हो पाया है। लोगों के सामने दोनों प्रत्याशी मंथर गति से चलते दिखाई पड़ रहेे हैं।
मतदाताओं को रिझा रहे बड़े प्रचार
कुछ स्थानीय नेताओं ने कहा कि स्थानीय स्तर का प्रचार अब उतना उपयोगी नहीं रह गया है। दरअसल भोपाल स्तर से मोबाइल फोन पर जो प्रचार प्रसार हो रहा है उसी से जनमत तैयार हो रहा है। लोग रोज रोज कमलनाथ और शिवराज सिंह की घोषणाएं और नारे सुन रहे हैं इसलिए वे तो उन्ही की बात मानेगे। हर पार्टी का अपना अनुशासन हैे। शीर्षस्थ नेता ने जो कहा वहीं सच हो सकता हैं। इसलिए स्थानीय स्तर पर तो अब इतना शेष है कि प्रत्याशी जनसंपर्क कर केवल अपनी पहचान बनाए। इसीलिए अब हर विधानसभा के लिए वाहनों का काफिला खड़ा करना, पंपलेट, बैनर छपवाना, प्रचारकों पर पैसा खर्च करना बहुत मंहगा और अनावश्यक हो चुका है।
विवादों में भी लगा अंकुश
मैदानी प्रचार में अगर ठंडापन रहा तो इससे विवाद होने का भी अवसर समाप्त हो जाता है। पिछले चुनावों तक देखा गया, पार्टियों के प्रचारक आपस में ही टकरा जाते थे, एक पार्टी के प्रचारक रास्ते में अपना वाहन खड़ा कर पोस्टर लगाते थे तब तक दूसरी पार्टी का वाहन आ गया उसे रास्ता देने की बजाय तकरार शुरू कर दी इसी में विवाद बढ़ गया। ऐसे विवाद हर विधान सभा में 10-20 की संख्या में हो जाते थे। इससे भी निजात मिली है। इस बार कहीं से भी झड़प होने की खबर नहीं मिली है।