स्पेशल कैटेगरी में नई सदस्यता पर रोक के मामले में फिर बढ़ी सुनवाई की तारीख

‘यशवंत क्लब में नई सदस्यता पर रोक:  14 दिसंबर को होगी सुनवाई’

स्वतंत्र समय, इंदौर

यशवंत क्लब में नई सदस्यता शुरू करने को लेकर रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी में चल रहे प्रकरण पर सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता ने क्लब सचिव संजय गोरानी के 20 पेज के जवाब को हिन्दी में पेश करने की मांग की है। रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी ने इसके अनुवाद के लिए दो दिन का समय दिया थ। हालांकि शुक्रवार को सुनवाई में वे रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी में वह हिन्दी में जवाब पेश नहीं कर सके। इसके लिए दोबारा मोहलत मांगने पर सोसायटी ने समय दिया। साथ ही असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी। क्लब में नई सदस्यता को लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सदस्य ने रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी में शिकायत की थी। शिकायतकर्ता बलमीत सिंह छाबड़ा ने जवाब हिंदी भाषा में देने की मांग की थी। ज्ञात हो कि यशवंत क्लब ने 173 आवेदकों को आवेदनों में कलब की सदस्यता प्रक्रिया के लिए मंजूर किया है व इन्हें 25-25 करके चार साल में सौ आवेदकों को सदस्यता दी जाएगी।

37 सदस्यों की प्रक्रिया रुकी, लग सकता है समय

बताया जाता है कि पहले चरण में 37 सदस्यों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था, इसे अब रोक दिया गया है। क्लब सदस्य एवं याचिकाकर्ता बलमीत सिंह ने सचिव गोरानी के अंग्रेजी में 20 पेज के प्रस्तुत जवाब पर आपत्ति ली थी। अब इस मामले में माना जा रहा है कि अनुवाद के बाद फिर से सुनवाई और तर्क होंगे। ऐसे में नई सदस्यता पर लगी रोक के मामले में समय लग सकता है।

याचिकाकर्ता के खिलाफ जवाब में अपशब्द

याचिकाकर्ता संजय गोरानी के जवाब में बिंदु 7 में उल्लेख है कि कतिपय असामाजिक तत्व व बदमाश क्लब के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। क्लब के कामकाज को बाधित करने के लिए दुर्भावनापूर्ण मकसद से याचिका लगाई गई है। याचिका को उपद्रवकारक के साथ ही दुर्भावनापूर्ण चाल बताया गया है ताकि क्लब की छवि पर प्रतिकूल असर हो।

अन्य पदाधिकारियों को भी तलब किया, सबके जवाब गोरानी ने दे डाले

याचिकाकर्ता ने मैनेजिंग कमेटी के साथ पदाधिकारियों को भी पार्टी बनाया था। हालांकि सबकी ओर से संजय गोरानी ने लंबा-चोड़ा जवाब पेश कर दिया। इसमें यह जवाब नहीं दिया गया कि संविधान संशोधन के पहले कैसे फॉर्म बांटे गए और 15-15 हजार रुपए में बेच दिए, जबकि यह कहां कि राशि ली है तो उसे अलग मद में लिया है। वहीं सदस्यता के प्राथमिकता क्रम किस तरह तय हुआ। इस पर भी जवाब नहीं दिया गया। दस रिजेक्ट फॉर्म का जवाब भी गोरानी ने नहीं दिया। अलबत्ता इस जवाब में गोरानी ने यह जरूर कहा कि हमने मौजूदा सदस्यता प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

स्पेशल मेंबरशिप कैटेगरी जोड़ने से पनपा विवाद

यशवंत क्लब में अब नया सदस्यता विवाद शुरू हो गया है। क्लब की मैनेजिंग कमेटी द्वारा नए सदस्य बनाए जा रहे थे। जिसको लेकर फर्म्स एंड सोसाइटी ने रोक लगा दी है। यशवंत क्लब के संशोधित नए नियमों पर फर्म्स एंड सोसायटी ने रोक लगा दी है। जिसके बाद अब नए सदस्यों को दी जा रही सदस्यता पर रोक लग गई है। बता दें कि विधान संशोधन के जरिए यशवंत क्लब में स्पेशल मेंबरशिप कैटेगरी जोड़ी गई थी। इसके जरिए नए सदस्यों को प्रवेश दिया जा रहा था।

25 लाख बचाने का खेल, मिस द बस योजना के नाम पर बैकडोर से एंट्री

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पहले बता चुके हैं कि हमने विस्तार से बताया है कि यह बैकडोर से पहले ही अधिक उम्रदराज वालों को सदस्यता दे चुके हैं, ताकि मिस द बस योजना के नाम पर जिन्हें सदस्यता दी गई है उनकी महंगी सदस्यता राशि बचाई जा सके। कायदे से उन्हें भी सदस्यता तो इसी स्पेशल मेंबरशिप कैटेगरी से देना थी जिसमें 25 लाख रुपए फीस थी, लेकिन यह राशि बचाने के लिए सदस्यता दे दी। वहीं बिना संविधान संशोधन के यह नया काम शुरू कर दिया। यही विवाद की वजह बनी।

फिलहाल यह व्यवस्था बनी रहेगी

फर्म्स एंड सोसायटी इंदौर के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने क्लब सदस्य बलमीत सिंह छाबड़ा की आपत्ति के आधार पर यशवंत क्लब को अभी वर्तमान पंजीकृत नियमों के तहत ही चलाने के निर्देश दिए हैं। जिसके चलते नवीन सदस्यता के लिए की जा रही कार्रवाई को विधि अनुसार नहीं माना जाएगा। यानी अभी क्लब नए सदस्य नहीं बना सकता है।