हवा में कॉफी की महक से पांढुर्णा में दहशत

स्वतंत्र समय, पांढुर्णा

जिला मुख्यालय में इन दिनों कॉफी और अन्य फ्लेवर की गैस प्रतिदिन रात 10 बजे से चलनी शुरू हो जाती है। जिससे शहर वासी रोज दहशत में रात गुजार रहे हैं। अन्य दिनों की अपेक्षा शुक्रवार देर शाम से काफी की इतनी तेज महक लोगों ने महसूस की और यह चर्चा का वातावरण बन गया। यह महक शहर की पूर्व दिशा नागपुर रोड की ओर से आ रही थी जहां एकमात्र बड़ी औद्योगिक इकाई ड्राईटेक प्रोसेस प्राइवेट लिमिटेड संचालित होती है।
अक्सर शरीर पर परफ्यूम लगाने या घरों में खुशबू हेतु उपयोग में लाए जाने वाले रूम स्प्रे के लिए कई महंगे ब्रांड के इत्र या परफ्यूम आदि खरीदनी पड़ती है। लेकिन नये बने पांढुर्णा जिले का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य, यहा रोज बिना पैसे की कॉफी और अन्य फ्लेवर वाली गंध सूंघने को मिल रही है जो की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताई जा रही है। कंपनी द्वारा बिनमांगे लोगों की जो यह मुराद पूरी की जा रही है इसके लिए लोग आभार व्यक्त कर रहे हैं, की भड़ास निकाल रहे हैं यह पब्लिक जानती है। परंतु पांढुर्णा जिला मुख्यालय में कलेक्टर से लेकर एसपी और अन्य अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि निवासरत होने के बावजूद प्रतिदिन ड्राईटेक कंपनी से आने वाली गंध उन तक कैसे नहीं पहुंच रही है या सभी संबंध निभा रहे है यह विचारणीय बात है। शहर वासियों की सेहत और सुरक्षा से बढक़र कोई भी संबंध और किसी का रसूख नहीं हो सकता।

दक्षिण भारतीय कंपनी का उत्पाद

सूत्रों के अनुसार ड्राईटेक कंपनी से आने वाली कॉफी और अन्य फ्लेवर से मिलती जुलती गंध आने के पीछे का कारण दक्षिण भारत की कुछ कंपनीयो के लिए बनाए जाने वाला रॉ मैटेरियल है, जो पांढुर्ना की ड्राइटेक कंपनी में बनता है। कई सालों से ड्राईटेक कंपनी दक्षिण भारत की एक नामी कंपनी के लिए जॉब वर्क करती है, जिसका पांढुर्णा इकाई में रॉ मटेरियल बनाकर उसे पैक करके दिया जाता है। इस दौरान प्लांट से छोड़े जाने वाली गैस शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में फैल रही है, जिससे लगातार लोग दहशत में आ रहे हैं। शहर के बाद सबसे ज्यादा दहशत कंपनी से लगे ग्राम मोरडोंगरी और पारडी के अलावा कुछ गावो में महसूस की जा रही है।

कंपनी की मजबूत पकड़

पांढुर्णा से लेकर मुंबई तक अपना व्यापार फैला चुकी ड्राईटेक कंपनी अपने रसूख के लिए पहचानी जाती है। ड्रायटेक कंपनी से निकलने वाली गंध के चलते ही फिर से यह कंपनी सवालों में है, लेकिन इसके अलावा भी कई और ऐसे सवाल है इसके घेरे में यह कंपनी सदैव रही है। बताया जा रहा है की ड्राईटेक कंपनी के द्वारा कंपनी से निकलने वाले दूषित पानी को सीधा नाले में छोड़ दिया जाता है, जो आसपास की जलस्तर को दूषित करने के अलावा अलावा नदी नाले को भी प्रदूषित कर जहरीला बना रहा है। सूत्रों पर यकीन करे तो कंपनी प्रबंधन के इशारों पर चलने वाली मजदूर यूनियन बनाकर कर्मचारियों को दबाकर अपने बस में रखना और घटना दुर्घटना घटने पर कर्मचारियों को उपचार से लेकर मुआवजे तक में खाना पूर्ति करना। विगत दिनों कई दुर्घटनाएं कंपनी में घटने के बाद भी शहरी सीमा के भीतर होने के बावजूद ड्रायटेक कंपनी की पुरानी फैक्ट्री में प्रोपेन गैस पर आधारित संयंत्र संचालित हो रहा है। इस प्लांट के संचालन के दौरान कई घटना दुर्घटनाएं घट चुकी है, यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी भी वक्त भोपाल गैस त्रासदी जैसी बड़ी दुर्घटना भी पांढुर्णा जिला मुख्यालय में घट सकती है। कंपनी के भीतर शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वालों को या तो बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है या उसे अपने शर्तों पर काम कराया जाता है।

मौत के साये में बस रही कोलोनियां

शहरी सीमा के अंदर नागपुर/छिंदवाड़ा मार्ग पर दशकों से संचालित होने वाले ड्राईटेक कंपनी के दक्षिण दिशा में पहले से संचालित कंपनी के भीतर एक दो इकाई है जो अतिरिक्त प्रारंभ की गई थी। लेकिन हाल ही में लगभग 2 साल पहले मुख्य मार्ग के उत्तर दिशा में नया और विशाल प्लांट खुलने से सडक़ की दोनों और ड्राइटेक कंपनी का परिसर स्थापित हो चुका है जहां हजारों श्रमिक काम कर रहे हैं। इसके बावजूद इन दो सालों में ड्राई टेक कंपनी के दोनों परिसर से लगकर कई कॉलोनाइजरो ने जमीन खरीद कर वहां पर नियमित विपरीत तरीके से खेतों में कॉलोनी काट डाली है। सैकड़ो लोगो को मुख्यमार्ग से लगकर कॉलोनी होने का झांसा देकर मौत के मुंह के पास अपना आशियाना खरीद रहे है।

भविष्य में ड्राईटेक कंपनी के भीतर यदि कोई बड़ी दुर्घटना घट गई तो सबसे पहले कंपनी के भीतर कार्यरत कर्मचारी और कंपनी की दीवाल से लगकर बसाई गई इन कॉलोनी वासियों का ही सबसे पहले और सबसे अधिक नुकसान होगा। लेकिन चंद पैसों के खातिर ना तो कंपनी ने क्षेत्रवासियो को इस आशय की कोई चेतावनी जारी की और ना ही कॉलोनाइजरो पर नपा और राजस्व प्रशासन कोई सख्ती बरत रही है। ना हीं भूखंड लेने वालों को सार्वजनिक रूप से ड्राईटेक कंपनी या प्रशासन की ओर से कोई सख्त सूचना दी जा रही है। नगरवासी भी बेपरवाह होकर इतनी बड़ी औद्योगिक इकाई से चिपक कर डाले जा रहे लेआउट में अपने सपनों का घर बसाने जा रहे हैं और लगातार यहां प्लॉट खरीद कर अपनी गाड़ी कमाई को लगा रहे हैं। फिलहाल क्षेत्र वासियों ने बताया कि जल्द से जल्द ड्राईटेक कंपनी से निकलने वाली इस गंध की जांच होनी चाहिए और जो भी कमियां और लापरवाहिया पाई जाती है , उसके आधार पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए और कंपनी से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांग कर सुधार करना चाहिए। ड्राईटेक कंपनी प्रबंधन से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया लेकिन कोई अधिकृत जवाब या जानकारी प्रबंधन के द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई। कंपनी प्रबंधन से जुड़े श्री संजय शाह से व्यक्तिगत संपर्क किया गया तो उनकी ओर से जवाब आया की कॉफी की महक वाले मामले में मैं देखता हूं।