विपिन नीमा, इंदौर
चौराहों की स्टडी के दौरान यह देखा जाएगा की इन 11 चौराहों ( intersections ) में कहां पर अंडर पास की आवश्यकता है, किन चौराहों पर फ्लाय ओवर ब्रिज बन सकता है और कितने चौराहों का चौड़ीकरण करना जरुरी है। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाने, शहरवासियों को टै्रफिक जाम से मुक्ति दिलाने तथा वाहनों का दबाव कम करने के लिए शहर के 11 चौराहों की फीजिबिलिटी स्टेडी के लिए कम्पनी के इंजीनियरों ने शुरु कर दी है। यह कार्य इंदौर विकास प्राधिकरण व्दारा करवाया जा रहा है। सर्वे के लिए एक कम्पनी को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई है। कम्पनी को प्रत्येक चौराहे की रिपोर्ट तैयार करना होगी और कम्पनी को हर चौराहे के सर्वे पर लगभग 7 से 8 लाख रुपए का भुगतान आईडीए को करना होगा। कम्पनी ने सर्वे शुरु कर दिया है। उसे सभी चौराहों के सर्वे के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है।
intersections पर ट्रैफिक दबाव कम करने का प्रयास
आईडीए से मिली जानकारी के मुताबितक शहर के प्रमुख मार्गों पर बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए अब प्रमुख चौराहों ( intersections ) पर भी अंडर पास या फ्लाईओवर की जरुरत नजर आने लगी है। शहर में अभी चौराहों पर एक भी फ्लाईओवर शुरू नहीं हो सका है, जबकि रेलवे क्रॉसिंग पर ज्यादातर ब्रिज बने हैं। इसके अलावा आईडीए ने भी शहर के 11 चौराहों परअंडर पास या फ्लाईओवर बनाने का फैसला लिया है। इसके लिए फीजिबिलिटी सर्वे शुरू कर दिया गया है।
चार कम्पनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया था
आईडीए की टैंडर प्रक्रिया में चार कम्पनियों ने हिस्सा लिया था। टैंडर में जिन चार कम्पनियों ने हिस्सा लिया है उनमें टेक्नोजेम कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स आकार अभिनव कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, वीकेएस इंफ्राटेक मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और मोनार्क सर्वेयर्स एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स शामिल है। पिछले दिनों फाइनेंशली बीट ओपन की गई जिसमें कम रेट वाली कम्पनी टेक्नोजेम कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड रही। आईडीए ने इसी कम्पनी को 11 चौराहों पर स्टडी करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
चौराहे का उपयोग रिपोर्ट के आधार पर होगा
वर्तमान में इंदौर लगभग 35 से 40 लाख आबादी वाला शहर हो गया है और शहर की सडक़ों पर करीब 30 लाख वाहन दौड़ रहे है। जनसंख्या और वाहनों की संख्या तेजी से बढऩे के कारण शहर के सभी प्रमुख सडक़े और चौराहे वाहनों से पटे रहते है। वाहनों का फ्लो अधिक होने से पैदल चलने वालों को भी परेशानी होती है। शहर की टै्रफिक व्यवस्था सुगम बनाने के लिए अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कई प्रयोग किए, लेकिन ये प्रयोग सही साबित नहीं हुए है। इसी कारण शहर में फ्लाय ओव्हर ब्रिज बनाए जा रहे है। चौराहों की टै्रफिक व्यवस्था को सुधारने सुगम बनाने के लिए शहर के 11 अतिव्यस्त चौराहों पर जरुरत के अनुसार अंडर पास या फ्लाय ओव्हर ब्रिज बनाने के लिए फीजिबिलिटी स्टेडी की जा रही है। फीजिबिलिटी सर्वे के लिए आईडीए ने पिछले दिनों टैंडर जारी किए थे इसमें चार कम्पनियों ने हिस्सा लिया है। फाइनेंशली बीट ओपन होने के बाद पता चलेगा की कौन सी कम्पनी शहर के 11 चौराहों पर स्टडी करेंगी
ये है 11 व्यस्त चौराहों का होगा फीजिबिलिटी सर्वे
जंजीरवाला चौराहा , टॉवर चौराहा, अग्रसेन चौराहा, गौपूर चौराहा , मधूुमिलन चौराहा, घंटाघर चौराहा , छावनी चौराहा , पत्रकार कालोनी चौराहा. एग्रीकल्चर कालोनी चौराहा , आजाद नगर चौराहा तथा चाणक्यपुरी चौराहा शामिल है। चौराहों का सर्वे चार तरह से होगा जिसमें सीसीटीवी कैमरे, वाहनों का फ्लो और टाइमिंग, चौराहे पर मशीन लगाकर , इंजीनियरों व्दारा चौराहों पर खड़े होकर शामिल है।
अंडर पास या फ्लायओव्हर की संभावनाएं तलाशी जाएंगी
आईडीए के अधिकारियो ने बताया गया है की शहर के ये 11 चौराहे ऐसे है जिन पर सुबह से लेकर रात तक वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। इन चौराहों में कुछ चौराहों और तिराहों की हालत इतनी खराब है की कोई भी चौराहे पर ठहरना नहीं चाहता । इन चौराहों को सुधारने और वाहनों का दबाव कम करने के लिए अंडर पास या फ्लाय ओव्हर ब्रिज बनाने की प्लानिंग की जा रही है। जो भी कम्पनी इन चौराहों का फीजिबिलिटी सर्वे करेंगी तो वह इस बात का मुख्य रुप से अध्ययन करेंगी की किन चौराहों पर अंडर पास की आवश्यकता है और किन चौराहों पर फ्लाय ओव्हर की जरुरत है और किन चौराहों को चौड़ाकरने की आवश्यकता है, यह देखा जाएगा की इन चौराहों पर दिनभर में हेवी व्हीकल गुजरते है और सबसे ज्यादा किस तरह के वाहनों का आना जाना लगा रहता है। साथ ही पैदल चलने वाले लोगों की लिए ये चौराहे कितने सुरक्षित है। इन चौराहों पर अंडर पास या फ्लाय ओव्हर ब्रिज बनने से टै:फिक का दबाव भी कितना कम होगा। इन सभी मुद्दों पर अध्यन होगा।