स्वतंत्र समय, भोपाल
पिछले 10 साल में हुई चार समिट का लेखा-जोखा देखें तो सरकार की तरफ से 12 हजार निवेश प्रस्ताव मिलने के दावे किए गए, लेकिन जमीन पर केवल 369 ही उतरे हैं। अब भोपाल में 24-25 फरवरी को 8वीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होने जा रही है इससे पहले मध्यप्रदेश में 7 समिट हो चुकी हैं।
इस बार 20 लाख करोड़ के investment की उम्मीद
विधानसभा में पूछे एक सवाल के जवाब में मप्र सरकार ने ही लिखित में ये जानकारी दी है। ये भी बताया है कि इन उद्योगों से 77 हजार लोगों को रोजगार मिला। हालांकि, कमलनाथ सरकार में हुए मेग्निफिसेंट एमपी से कितने लोगों को रोजगार मिला, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस बार की समिट से सरकार को 20 लाख करोड़ रुपए के निवेश ( investment ) प्रस्ताव और इनसे 20 लाख नौकरियां मिलने की उम्मीद है। इंदौर में उद्योगपतियों के साथ हुई बैठक में नगरीय विकास एवं आवास विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी यही दावा किया था।
सरकार का जवाब-358 उद्योग स्थापित हुए
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 2014, 2016 और 2023 में हुई समिट में 25 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव और इससे 29 लाख रोजगार मिलने का दावा किया गया था। 10 मार्च 2023 को विधानसभा में कांग्रेस के पूर्व विधायक संजय शुक्ला (अब भाजपा में) ने समिट को लेकर सवाल पूछा था। सरकार ने लिखित जवाब में बताया कि इन तीन समिट में आए प्रस्तावों के तहत राज्य में 358 छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हो चुके हैं। शेष प्रस्तावों पर प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश में लगभग 78,862 करोड़ का पूंजी निवेश प्राप्त हो चुका है। इन उद्योगों से 77,059 लोगों को रोजगार मिला है। कुल एमओयू में से 40 एमओयू साइन किए गए हैं।
पांच समिट में 7 हजार करोड़ के निवेश का दावा
कांग्रेस विधायक कमल मर्सकोले और विनय सक्सेना ने 18 मार्च 2020 को सवाल पूछा था कि मप्र में 2004 से 2020 के बीच कितनी समिट हुई? इनमें कितने निवेश प्रस्ताव जमीन पर उतरे? सरकार ने लिखित जवाब दिया कि शिवराज सरकार में 2004 से 2018 तक 5 समिट हुईं। इनमें 4,696 निवेश प्रस्ताव जमीन पर उतरे और 97 हजार 816 लोगों को रोजगार मिले। इस अवधि में मल्टीनेशनल कंपनियों से 7 हजार 349 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ।
एमओयू नहीं हुए, निवेशकों से प्रस्ताव लिए गए थे
तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अक्टूबर 2019 में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के बजाय मेग्निफिसेंट एमपी का आयोजन किया था। इस दौरान एमओयू नहीं हुए थे, बल्कि निवेशकों से प्रस्ताव लिए गए थे। कुल 92 प्रस्तावों में 74 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए थे। सरकार ने दावा किया था कि इस निवेश से 2 लाख रोजगार के अवसर मिलेंगे। कमलनाथ सरकार ने 15 महीने के कार्यकाल में दावा किया था कि 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश जमीन पर उतरा है। इससे एक लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। हकीकत यह है कि इस समिट में 8,450 करोड़ के निवेश पर काम हुआ और रोजगार कितनों को मिला, इसका आंकड़ा सरकार ने नहीं दिया।