Sehore News : मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत 155 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है। इस योजना के अंतर्गत, पशुपालन विभाग के सहयोग से इन महिलाओं को कड़कनाथ और देसी रंगीन नस्ल के चूजे प्रदान किए गए हैं।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को घर बैठे आमदनी का एक स्थायी स्रोत उपलब्ध कराना है, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें। प्रशासन का अनुमान है कि इस व्यवसाय से प्रत्येक महिला सालाना 1.5 लाख रुपए तक की कमाई कर सकती है, जो उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक होगा।
क्या है ‘लखपति दीदी’ योजना?
‘लखपति दीदी’ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समर्थित एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका लक्ष्य स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं की वार्षिक आय कम से कम एक लाख रुपए तक पहुंचाना है।
इसके लिए महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार तक पहुंच प्रदान की जाती है। सीहोर में इसी योजना के तहत मुर्गी पालन को एक ( व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल) viable business model के रूप में चुना गया है।
110 समूहों की 155 महिलाओं का चयन
इस कार्यक्रम के लिए जिले के 110 महिला स्वयं-सहायता समूहों की 155 सक्रिय सदस्यों का चयन किया गया। ये महिलाएं लंबे समय से आजीविका मिशन से जुड़ी हुई हैं और विभिन्न छोटी-मोटी गतिविधियों से अपनी आजीविका चला रही थीं। अब कड़कनाथ पालन के माध्यम से उन्हें एक बड़ा और अधिक लाभकारी व्यवसाय करने का अवसर मिला है। मिशन के अधिकारियों ने बताया कि इन महिलाओं को चूजों के पालन-पोषण, टीकाकरण और बिक्री के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
क्यों खास कड़कनाथ मुर्गा?
कड़कनाथ मुर्गे की मांग बाजार में काफी ज्यादा है, खासकर इसके औषधीय गुणों और उच्च प्रोटीन वाले काले मांस के कारण। यह सामान्य ब्रॉयलर मुर्गों की तुलना में काफी महंगा बिकता है। इसका पालन कम लागत में किया जा सकता है और यह स्थानीय वातावरण के लिए भी अनुकूल है। यही वजह है कि प्रशासन ने महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए कड़कनाथ पालन को प्राथमिकता दी है।