मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के आरक्षक रहे सौरभ शर्मा के करोड़ों रुपये के अवैध लेन-देन के मामले में हवाला की संलिप्तता की संभावना को लेकर आयकर विभाग और लोकायुक्त पुलिस ने जांच तेज कर दी है। जांच के दौरान सौरभ के करीबी चेतन गौर से भी पूछताछ की गई है। सूत्रों के अनुसार, मामले में विदेश में निवेश और बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों के सबूत तलाशे जा रहे हैं।
हवाला के संदेह को इसलिए बल मिल रहा है क्योंकि छापेमारी में ढाई-ढाई लाख रुपये की नकद राशि के बंडल मिले हैं, जो आमतौर पर हवाला लेन-देन में उपयोग किए जाते हैं। अधिकारियों ने पाया कि ये रकम संदिग्ध स्रोतों से आई हो सकती है। विदेश में संपत्तियों और निवेशों की जानकारी जुटाने के लिए भी आयकर विभाग ने संबंधित दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं। जांच में सौरभ शर्मा और उनके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों के फोन कॉल्स और बैंकिंग ट्रांजेक्शन की जांच की जा रही है ताकि अवैध लेन-देन और हवाला नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।
भोपाल में हुए सौरभ शर्मा के मामले ने बड़े पैमाने पर आरटीओ अधिकारियों और नेताओं के संबंधों को उजागर कर दिया है। आयकर विभाग ने भोपाल के मेंडोरी गांव में खड़ी एक कार से 54 किलो सोना, लगभग 10 करोड़ रुपये नकद, और एक डायरी बरामद की है। इस डायरी में कई आरटीओ अधिकारियों, चेक पोस्ट के कर्मचारियों, और राजनीतिक नेताओं के नाम दर्ज हैं। इन व्यक्तियों से पूछताछ के लिए अब आयकर विभाग और लोकायुक्त पुलिस पूरी तैयारी में है।
मुख्य बिंदु
1. डायरी की जानकारी: डायरी में नाम दर्ज होने के कारण आयकर विभाग इन अधिकारियों और नेताओं को समन जारी करने की प्रक्रिया में है।
2. चेतन गौर की भूमिका: बरामद कार चेतन गौर के नाम पर पंजीकृत है, लेकिन इसका उपयोग सौरभ शर्मा कर रहा था।
3. डीआरआई की भूमिका: बरामद सोने के मामले में डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) को सूचित किया गया है, ताकि सोने के स्रोत और उसके उपयोग की जांच की जा सके।
4. ग्वालियर में जांच: मंगलवार को भोपाल से लोकायुक्त की टीम ग्वालियर पहुंची। टीम ने हुरावली स्थित परिवहन मुख्यालय का दौरा किया और सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति और उसके नजदीकियों से संबंधित जानकारी जुटाई।
फोकस क्षेत्र
• सौरभ की विभाग में नियुक्ति की प्रक्रिया और इसमें अनियमितताओं की संभावना।
• आरटीओ चेक पोस्ट पर चल रहे अवैध लेन-देन और अधिकारियों की भूमिका।
• सौरभ के सहयोगियों और नेटवर्क की पूरी जानकारी।
यह मामला केवल सौरभ शर्मा तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवहन विभाग में चल रही संभावित भ्रष्ट गतिविधियों की ओर इशारा करता है। जांच से जुड़े अधिकारी इस मामले को बड़े स्तर पर उठाने की तैयारी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में सौरभ शर्मा के मामले को लेकर राजनीति गर्मा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे “परिवहन घोटाला” करार देते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की है।
दिग्विजय सिंह के आरोप
1. पूर्व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की भूमिका पर सवाल:
• दिग्विजय ने गोविंद सिंह राजपूत को इस घोटाले का हिस्सा बताते हुए उनकी भूमिका की जांच की मांग की।
• उन्होंने आरोप लगाया कि सौरभ शर्मा चेकपोस्ट वसूली और ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे कार्यों में सक्रिय था।
• उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने काली कमाई के लिए कमलनाथ सरकार द्वारा बनाए गए बोर्ड को भंग कर दिया था।
2. परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार:
• जंगल में खड़ी कार से 52 किलोग्राम सोना, 200 किलोग्राम चांदी, और 11 करोड़ नकद की बरामदगी को विभाग में काले धन के उपयोग का प्रमाण बताया।
• दिग्विजय ने कहा कि चेकपोस्ट पर अवैध वसूली से मिली काली कमाई कहां बंटती थी, इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।
3. सौरभ शर्मा की भूमिका:
• उन्होंने कहा कि सौरभ शर्मा पूरे वसूली तंत्र का संचालन करता था।
• उसकी गिरफ्तारी और नेटवर्क की जांच की मांग की।
गोविंद सिंह राजपूत का बयान
• पूर्व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इन आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
दिग्विजय की मांग
• जांच: हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में इस मामले की स्वतंत्र जांच हो।
• गिरफ्तारी: सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
• भ्रष्टाचार की छानबीन: चेकपोस्ट और ट्रांसफर-पोस्टिंग के माध्यम से हुई काली कमाई के वितरण का खुलासा किया जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
दिग्विजय सिंह के इन आरोपों ने भाजपा सरकार और गोविंद सिंह राजपूत को सवालों के घेरे में ला दिया है। यह मामला अब केवल प्रशासनिक जांच का नहीं, बल्कि राजनीतिक संघर्ष का भी केंद्र बन गया है।