188 फैक्ट्रियां पानी को कर रहीं जहरीला, कार्रवाई का पता नहीं

स्वतंत्र समय, इंदौर

शहर के घने इलाके में बसे सांवेर रोड का इंडस्ट्रियल वेस्ट का आकलन पिछले साल मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया। इसके तहत औद्योगिक क्षेत्र के हर सेक्टर से भूमिगत जल के दो से तीन सैम्पल लिए गए थे। पिछले साल मई में एकत्र किए गए नमूनों में बोर्ड के अलावा केंद्रीय भूमिेगत जल आयोग, इंदौर नगर निगम के साथ कलेक्टर ने भी निरीक्षण में नमूने लिए थे। इसके बाद तैयार कर रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी को भेजी गई थी। इसमें बताया गया था कि यहां पर कुल 514 कारखाने हैं जिनमें से 137 को रेड जोन की श्रेणी में रखा गया था। इसमें पाया गया था कि 15 कारखाने यहां ऐसे हैं जहां पर नियमित रूप से प्रदूषित जल की निकासी हो रही है। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कुल 514 कारखानों में से 215 कारखाने ही ऐसे हैं जिन्हें ग्रीन कैटेगरी में रखा जा सकता है और पर्यावरण को नुकसान है। वहीं रिपोर्ट में यह बात चिंतनीय है कि कुल 188 कारखाने ऐसे हैं जिनसे भूमिगत जल को नुकसान पहुंच रहा है।

पानी दूषित होने के 4 बड़े कारण ये सामने आए थे…

  1. उद्योगों का खतरनाक केमिकल युक्त पानी जमीन में छोड़ा जा रहा हो।
  2. क्षेत्र की ड्रेनेज लाइन जर्जर होने के कारण जो दूषित पानी ईटीपी तक जाना चाहिए वह जमीन में रिस रहा हो।
  3. नगर निगम और प्रशासन की सख्ती के बावजूद कुछ उद्योग चोरी छिपे रसायन वाला घातक दूषित पानी नालों में बहा रहे हों।
  4. वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तो लगाए लेकिन उसमें बारिश के पानी के अलावा फैक्टरियों का पानी भी छोड़ा जा रहा हो।

उद्योगों के चलते पीने योग्य नहीं है भूमिगत जल

सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र सहित आसपास के कुमेड़ी, भौंरासला, बरदरी से धनखेड़ी तक भूजल दूषित हो रहा है। इन क्षेत्रों में चल रहे उद्योग सहित अन्य कारणों से जमीन के भीतर का पानी पीने योग्य नहीं बचा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस इलाके के 20 किलोमीटर से अधिक सर्कल के भूजल की जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बोरिंग, हैंडपंप से निकलने वाला प्रदूषित है।

टीडीएस मानक से छह गुना ज्यादा

पानी में टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड्स) 1500 से 2000 तक है। 300 से 600 टीडीएस का पानी ही पीने योग्य होता है। विभाग अगले एक साल तक इस क्षेत्र में पानी की क्वालिटी खराब होने को लेकर रिसर्च करेगा। क्षेत्र में 50 स्थान चिह्नित किए हैं, जहां से हर महीने पानी लेकर उनकी जांच की जाएगी।

कैंसर तक की बीमारी दे सकता है यह प्रदूषण

शोधकर्ताओं ने पाया कि इस प्रकार की प्रदूषित हवा में सांस लेने से अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों, हृदय रोग और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। गाड़ी के धुएं या फिर कारखानों से निकलने वाले धुएं में कई प्रकार के हानिकारक रसायन होते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है। पारा, लेड, अभ्रक, कीटनाशक जैसे हानिकारक पर्यावरणीय रसायनों के संपर्क में आने से श्वसन और हृदय रोग, एलर्जी और कैंसर सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है। शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक, विशेषतौर पर माइक्रोप्लास्टिक के कारण लोगों में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर अलर्ट किया है।

फैक्टरियों की होगी आकस्मिक जांच, पालन नहीं करवा पा रहे

अब इस रिपोर्ट के बाद तय हुआ था कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हर 15 दिनों में फैक्टरियों की आकस्मिक जांच की जाएगी। इस दौरान अगर किसी प्लास्टिक रिसाइकल फैक्ट्री ने गंदा पानी सीवरेज लाइन में छोड़ा है तो उस कंपनी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि व्यवहार में ऐसा अब तक इस क्षेत्र में नहीं हो रहा है।

भूजल को लेकर रिसर्च शुरू की

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसएन द्विवेदी ने रिपोर्ट के समय बताया था कि सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र, बरदरी, कुमेड़ी से लेकर धनखेड़ी तक 20 किमी रेडियस में भूजल को लेकर रिसर्च शुरू की गई है। अगले साल मार्च तक हर महीने 50 स्थानों के पानी की जांच की जाएगी। 35 मानकों पर जांच कर पानी के दूषित होने की वजह जानी जाएगी।

नाले के हिस्से को सूखा कर रोका था गंदा पानी

यहां सेक्टर ए और डी में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के लिए पाइप लाइन नहीं डाली जाने से उद्योगों व रहवासी क्षेत्रों का गंदा पानी भी नरवल नाले से होते हुए कान्ह नदी में मिल रहा था। इस पर प्रदूषण विभाग के अफसरों ने जब नगर निगम को पत्र लिखकर जानकारी दी तो निगम ने नरवल नाले के पानी को कान्ह नदी में जाने से रोकने के प्रयास किए। इसके बाद अब जहां एक ओर एक नई पाइप लाइन डाल दी गई है तो दूसरी ओर नाले के कान्ह नदी को जोडऩे वाले हिस्से को सुखा भी दिया गया है।

  • सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र पर एक नजर- 06
  • सेक्टर में विभाजित है औद्योगिक क्षेत्र- 77
  • हेक्टेयर में कुल औद्योगिक क्षेत्र- 2022
  • में किया गया था चार विभागों के साथ मुआयना- 514
  • कुल कारखाने इस क्षेत्र में-188
  • भूमिगत जल कर रहे प्रदूषित