2006 Train Blasts: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया, कहा ‘अभियोजन पक्ष मामला साबित करने में विफल रहा’

2006 Train Blasts: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में हुए 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले में एक ऐतिहासिक फैसले में सोमवार को विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 12 लोगों को दोषी ठहराया गया था। इस मामले में 2015 में विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को मृत्युदंड और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

2006 Train Blasts: 180 लोगों की हुई थी मौत

इन सात समन्वित बम विस्फोटों में मुंबई में 180 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांदक की विशेष पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष “उचित संदेह से परे मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा।”

कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत पर्याप्त और ठोस नहीं थे, जिसके आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया जा सके। इस निर्णय ने न केवल मामले को नई दिशा दी है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में सबूतों की विश्वसनीयता और मजबूती के महत्व को भी रेखांकित किया है।

2006 Train Blasts: विस्फोटों ने पूरे देश को झकझोर दिया था 

2006 के इन विस्फोटों ने मुंबई की लोकल ट्रेनों को निशाना बनाया था, जो शहर की जीवनरेखा मानी जाती हैं। सिलसिलेवार विस्फोटों ने पूरे देश को झकझोर दिया था और जांच एजेंसियों पर मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का दबाव था। हालांकि, हाईकोर्ट के इस ताजा फैसले ने जांच प्रक्रिया और अभियोजन की तैयारियों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस फैसले के बाद, मामले से जुड़े पीड़ितों और उनके परिवारों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ लोग इस निर्णय से निराश हैं, वहीं अन्य का मानना है कि यह फैसला न्यायिक निष्पक्षता का प्रतीक है।

यह मामला अब भी कानूनी और सामाजिक बहस का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह न केवल आतंकवाद से निपटने की चुनौतियों को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किसी भी दोष को साबित करने के लिए ठोस सबूतों का होना कितना आवश्यक है।