सीताराम ठाकुर, भोपाल
मप्र सरकार के अधीन 73 सार्वजनिक उपक्रम निगम-मंडल ( corporation boards ) संचालित है, लेकिन 27 निगम-मंडलों ने 2018-19 से 2022-23 के बीच व्यापक भ्रष्टाचार किया है। यदि इसकी जांच हुई तो यह घोटाला करोड़ों और अरबों में जाएगा। जबकि 21 निगम-मंडल ऐसे हैं, जिन्होंने तीन दशक से ऑडिट ही नहीं कराया है। वहीं, 14 का टर्नओवर जीरो है, फिर भी सरकार इन्हें बंद करने की अपेक्षा नए-नए निगम-मंडल गठित करने में लगी है।
41 corporation boards बंद होने की कगार पर
मप्र में कांग्रेस सरकार के समय 52 निगम-मंडल हुआ करते थे। तत्कालीन समय में घाटे में चलने वाले 7 निगम-मंडलों ( corporation boards ) को बंद भी किया गया था, लेकिन जबसे प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है तभी से सार्वजनिक उपक्रम यानि निगम-मंडलों की बाढ़ आ गई है। वर्तमान में इनकी संख्या 73 है। इनमें से 41 निगम-मंडल पूरी तरह बंद होने की कगार पर हैं फिर भी सरकार इनमें अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की नियुक्ति कर सरकारी खजाने को चूना लगाने की काम करती है। एक समय इन निगम-मंडलों को सफेद हाथी की संज्ञा दी जाती थी, मगर अब सरकार ने इनकी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया है। इसी का नतीजा है कि 2018-19 से 2022-23 के बीच 27 निगम-मंडलों में बेतहाशा भ्रष्टाचार हुआ है। यहां तक कि ये भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि कैग (सीएजी) भी राशि का खुलासा नहीं कर सका है। 2022-23 में इन निगम-मंडलों ने 95 हजार 645 करोड़ का कारोबार किया, लेकिन इसमें अकेले ऊर्जा क्षेत्र के उपक्रमों का 98 प्रतिशत योगदान है।
इन निगम-मंडलों में हुआ बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार
मप्र राज्य पर्यटन निगम, मप्र सडक़ विकास निगम, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, मप्र औद्योगिक विकास निगम, द प्रोविडेंट इंवेस्टमेंट कंपनी, मप्र ऊर्जा विकास निगम, मप्र जल निगम मर्यादित, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट, उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड, ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट, नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी, मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी, मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी, मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉरर्पोरेशन, जबलपुर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट, मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी, मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल, भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफेक्युरिंग पार्क, विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड, मप्र राज्य खनन निगम लिमिटेड तथा मप्र राज्य वन विकास निगम शामिल हैं। इन निगम-मंडलों ने 2018-19 से लेकर 2022-23 के बीच हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा-इनमें व्यापक प्रकृति की अनियमितताएं पाई गई हैं।
इन्होंने 3 दशक से नहीं कराया ऑडिट
मप्र पर्यटन बोर्ड, मप्र लघु उद्योग निगम, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, राज्य कृषि उद्योग विकास निगम, सागर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेस लिमिटेड, मप्र और महाराष्ट: खनिज एवं रसायन लिमिटेड, मप्र राज्य सडक़ परिवहन निगम, मप्र सडक़ विकास निगम, मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन, संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम, राज्य औद्योगिक विकास निगम, द प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी, मप्र पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम, मप्र आदिवासी वित्त विकास निगम, मप्र वेंचर फाइनेंस लिमिटेड, मप्र वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड, मप्र पंचायती राज वित्त एवं ग्रामीण विकास निगम, मप्र फिल्म विकास निगम, ऑप्टेल टेलीकम्युनिकेशन लिमिटेड तथा मप्र विद्युत यंत्र लिमिटेड आदि के नाम शामिल हैं। इन्होंने तीन दशक से अधिक समय से अपना ऑडिट नहीं कराया है।
इन निगम मंडलों का टर्नओवर जीरो
बाणसागर थर्मल पावर कंपनी, श्री सिंगाजी पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड, मप्र एएमआरएल (सेमरिया)कोल कंपनी, मप्र एएमआरएल (मोरगा) कोल कंपनी, मप्र एएमआरएल (मरकी बरका)कोल कंपनी, मप्र एएमआरएल (बिचारपुर)कोल कंपनी, मप्र जेपी कोल लिमिटेड, मप्र मोनेट माइनिंग कंपनी लिमिटेड, जेपी कोल फील्ड्स लिमिटेड, जेपी मिनरल्स लिमिटेड, मप्र सैनिक कोल माइनिंग प्रायवेट लिमिटेड, नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी तथा मप्र मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड का टर्नओवर जीरो है।
पहुंचाया 1940 करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2023 की स्थिति में राज्य सरकार के अंश पूंजी तथा दीर्घावधि ऋण के कुल निवेश एक लाख 9 हजार 259 करोड़ के विरुद्ध निगम-मंडलों में 64 हजार 878 करोड़ का निवेश था। इन निगम-मंडलों का बकाया दीर्घावधि ऋण पिछले सालों की तुलना में 32 हजार 204 करोड़ तक बढ़ गया है। वर्तमान में 12 उपक्रमों ने सरकार को 1,940 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। वहीं 11 ऐसे भी निगम-मंडल है, जिन्होंने 552 करोड़ का लाभ अर्जित किया। इनमें मप्र वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कारर्पोरेशन ने 208 करोड़, मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 141.66 करोड़ तथा राज्य वन विकास निगम ने 59.49 करोड़ का लाभ कमाया।