नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के बीच 272 प्रतिष्ठित नागरिकों के एक समूह ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने को लेकर कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी की कड़ी निंदा की है। इस समूह में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, नौकरशाह और सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अस्थिर करने का एक सोचा-समझा प्रयास बताया है।
यह पत्र ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में देरी और विसंगतियों को लेकर लगातार चुनाव आयोग पर निशाना साध रहे हैं। इन प्रतिष्ठित नागरिकों ने इन आरोपों को भारत की चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को कमजोर करने वाला बताया है।
‘चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता की रक्षा’
इस पत्र का शीर्षक ‘सेफगार्डिंग द सैंक्टिटी ऑफ इंडियाज इलेक्टोरल प्रोसेस’ (भारत की चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता की रक्षा) है। पत्र में कहा गया है कि कुछ राजनीतिक दल अपने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए देश में अराजकता और अविश्वास का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पत्र में विशेष रूप से 10 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर राहुल गांधी द्वारा की गई एक पोस्ट का उल्लेख किया गया है। नागरिकों ने इसे चुनाव आयोग के प्रति ‘घोर अपमान’ करार दिया और कहा कि यह निराधार आरोप लगाकर जनता के मन में संदेह पैदा करने की एक कोशिश है।
पत्र में कांग्रेस पर गंभीर आरोप
पत्र के अनुसार, कांग्रेस पार्टी द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस और उनके नेताओं के बयान, जिनमें मतदान के आंकड़ों पर सवाल उठाए गए थे, एक खतरनाक प्रवृत्ति का हिस्सा हैं। हस्ताक्षरकर्ताओं का मानना है कि यह केवल आलोचना नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को खत्म करने की एक सुनियोजित रणनीति है।
उन्होंने कहा, “इस तरह के आरोप न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि ये राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता का कारण भी बन सकते हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि एक राष्ट्रीय पार्टी इस तरह का व्यवहार कर रही है।”
चिट्ठी लिखने वालों में कौन-कौन शामिल?
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 272 लोगों में समाज के विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियां शामिल हैं। इनमें:
- 8 सेवानिवृत्त न्यायाधीश: जस्टिस (सेवानिवृत्त) डी.एन. पटेल, जस्टिस (सेवानिवृत्त) रामेश्वर सिंह मलिक और जस्टिस (सेवानिवृत्त) एस.एन. ढींगरा जैसे नाम शामिल हैं।
- 101 सेवानिवृत्त नौकरशाह: इसमें पूर्व आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी शामिल हैं।
- 163 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी: सशस्त्र बलों के कई पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस पत्र का समर्थन किया है।
इन सभी ने एकजुट होकर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की स्वायत्तता और सम्मान को बनाए रखने की अपील की है।
चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग
पत्र के अंत में, इन नागरिकों ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि वह ऐसे निराधार आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि आयोग को अपनी शक्तियों का उपयोग करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी राजनीतिक दल या नेता लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर न कर सके।
यह पत्र चुनाव के दौरान राजनीतिक विमर्श में एक नया अध्याय जोड़ता है, जहां सेवानिवृत्त अधिकारियों और न्यायाधीशों के एक बड़े समूह ने सीधे तौर पर एक प्रमुख विपक्षी दल के खिलाफ मोर्चा खोला है और संवैधानिक संस्था का बचाव किया है।