3 साल पहले करैरा में 30 हजार वोटों से हारने वाली भाजपा इस बार मजबूत स्थिति में

स्वतंत्र समय, शिवपुरी

तीन साल पहले 2020 में करैरा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव ने कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में आए जसमंत जाटव को लगभग 31 हजार मतों से बुरी तरह पराजित किया था। लेकिन तीन साल में करैरा में स्थिति बदल गई ह। कांग्रेस की यह सीट अब फंसी हुई नजर आ रही है। कौन जीतेगा और कौन हारेगा यह कोई भी सुनिश्चित रूप से नहीं कह पा रहा है। भाजपा को इस सीट पर प्रत्याशी बदलाव से काफी फायदा हुआ है। करैरा में पिछले 30 सालों से कोई भी विधायक दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया। इससे कांग्रेस के लिए करैरा में खतरे की घंटी बजती हुई सुनाई दे रही है।
करैैरा में 2018 के विधानसभा चुनाव में सिंधिया समर्थक कांग्रेस प्रत्याशी जसमंत जाटव ने भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक को लगभग 15 हजार मतों से पराजित किया था। उस चुनाव में बसपा प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव भी जो अब कांग्रेस से विधायक हैं, भी खड़े हुए थे। जिन्होंने तीसरा स्थान प्राप्त किया था। मार्च 2020 में विधायक जसमंत जाटव ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आ गए। उन्हें उप चुनाव में भाजपा ने करैरा से प्रत्याशी बनाया लेकिन डेढ साल में ही जसमंत जाटव की छवि क्षेत्र में इतनी खराब हो गई कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार के बाद भी वह 31 हजार मतों से पराजित हो गए। जीत बसपा से कांग्रेस में आए प्रागीलाल जाटव को मिली। प्रागीलाल व्यवहार कुशल और सज्जन व्यक्तित्व के हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता न होने के बाद भी जनता से उनका जुड़ाव बना रहा। करैैरा में 40 हजार जाटव मतदाता है और इन मतों पर उनकी मजबूत पकड़ है। कांग्रेस ने जब उन्हें उम्मीदवार घोषित किया तो ऐसा लग रहा था कि उनके लिए जीत आसान रहेगी। क्योंकि तीन साल पहले उप चुनाव में भाजपा बुरी तरह पराजित हो गई थी। परन्तु इस हार से भाजपा ने सबक लिया। भाजपा टिकिट के लिए जसमंत जाटव ने बहुत दौड़ भाग की, सिंधिया ने भी उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने की पैरवी की। लेकिन भाजपा के सर्वे में जसमंत जाटव की हालत बहुत खराब बताई गर्ई। इस कारण भाजपा ने उनका टिकिट काटने का फैसला लिया। सवाल यह था कि अब किसे टिकिट दिया जाए। टिकिट के लिए 2018 में भाजपा टिकिट पर चुनाव लड़े राजकुमार खटीक ने जोर लगाया। टिकिट की दौड़ में 2008 में करैरा से भाजपा टिकिट पर जीते रमेश खटीक भी शामिल हुए।

खटीक की क्षेत्र में अच्छी छवि मानी जाती है परन्तु पार्टी ने उन्हें न तो 2013 और न ही 2018 में टिकिट दिया इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप रमेश खटीक 2018 के चुनाव में सवर्ण समाज पार्टी के टिकिट पर करैरा से खड़े हो गए। वह जीत तो नहीं पाए लेकिन लगभग 10 हजार वोट प्राप्त कर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक की हार सुनिश्चित कर दी। बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडऩे के कारण उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया बाद में वह पार्टी में शामिल हो गए। 2023 के चुनाव में भाजपा जब जीतने वाले उम्मीदवार की खोज कर रही थी तो रमेश खटीक का नाम चर्चा में आया। पार्टी के सर्वे में उन्हें जीतने योग्य उम्मीदवार बताया गया। इस कारण भाजपा ने उनकी उम्मीदवारी घोषित कर दी। टिकिट बदलाव से भाजपा मुकावले में वापस आई। भाजपा को लाड़ली बहिना योजना का भी लाभ मिला और जसमंत जाटव के खिलाफ जो एन्टीइनकमबंशी फेक्टर था उसका भी निराकरण हुआ। भाजपा के प्रचार में पार्टी के वरिष्ठ नेता रणवीर सिंह रावत भी जुटे। इलाके में रावत मतदाताओं की संख्या लगभग 20 हजार है। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीडी शर्मा के अलावा देश के गृहमंत्री अमित शाह की सभाऐं हुई जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल के पक्ष में सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सभा हुई। उनका प्रचार और प्रसार भी उतना व्यवस्थित नहंी रहा। लोधी मतदाताओं का बड़ा समर्थन भी भाजपा प्रत्याशी को मिला। क्षेत्र में लगभग 15 हजार लोधी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। हालांकि जाटव मतों का एक बड़ा प्रतिशत कांग्रेस को मिला। कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में भाजपा के एक प्रभावशाली नेता ने भी प्रचार किया। लेकिन उनके प्रचार का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। प्रत्याशी बदलाव और व्यवस्थित चुनाव अभियान से भाजपा ने करैरा में बापसी की है। पहले जहां मुकावला कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा माना जा रहा था वहीं मतदान के बाद कोई भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि करैरा में कांग्रेस जीतेगी या भाजपा। कुल मिलाकर कांग्रेस की यह सीट फंसी हुई नजर आ रही है।