300 करोड़ का scam इंदौर, भोपाल, दिल्ली तक गूंजा


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राजेश राठौर

मध्यप्रदेश सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अफसरों ने डाकू मलखान सिंह की तरह धारा-16 के नक्शे पास कराने का जो घिनौना खेल शुरू किया है उसकी बुरी खबर कल ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। अखबार में छपे घोटाले को लेकर न केवल हजारों लोगों के फोन आए बल्कि लाखों लोगों तक खबर गूगल ट्रेंड की तरह पहुंची। हालत यह थी कि इंदौर और भोपाल ही नहीं दिल्ली तक इस घोटाले को लेकर नेता और अफसर पूछते रहे कि मास्टर प्लान का सत्यानाश करके रिश्वत के चक्कर में मास्टर प्लान का सत्यानाश क्यों किया जा रहा है।

स्वतंत्र समय, भोपाल

इंदौर का मास्टर प्लान लाने के पहले 79 गांव की जमीन को इंदौर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग दफ्तर ने फ्रीज कर दिया था। इसके बाद इन गांवों में नई कालोनियों के नक्शे मंजूर होना बंद हो गए थे। रिश्वत के भूखे भेड़िए अफसरों ने पैसों के लालच में आकर अंधे होकर नक्शे पास करना शुरू कर दिये।

स्वतंत्र समय ने कई बार scam के मामले को उठाया 

शुरुआत में कुछ नक्शे मंजूर हुए, उसके बाद तो इंदौर की हर गली में एक दलाल पैदा हो गया जो यह कहते हुए सुनाई दिया कि धारा-16 में 79 गांवों की जमीन पर नक्शा पास करने के लिए हम दलाली कर रहे हैं। शुरुआत में प्रति एकड़ 10 लाख रुपए का रेट था, जो बाद में बढ़ते-बढ़ते 12 और 15 लाख रुपए हो गया। ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ ने जनहित में यह मामला लगातार प्रकाशित किया। कई बार ‘देखी सुनी’ कालम में भी इस घोटाले ( scam) को प्रकाशित किया था उसके बावजूद अफसारों ने ध्यान नहीं दिया। मास्टर प्लान के टुकड़े-टुकड़े करते हुए अफसरों ने 79 गांवों में नक्शे पास करने का खेल जारी रखा।

शहर हित में आवाज उठाते रहेंगे, लेकिन डरेंगे नहीं

‘दैनिक स्वतंत्र समय’ में खबर प्रकाशित होने के बाद जमीनी कारोबारी, अफसर और नेताओंं के बीच चर्चा रही कि आखिर ये सब कैसे हो रहा है। ये बात भी सही है कि खबर प्रकाशित होने के बाद इतना हल्ला मच गया तब भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के भ्रष्ट अफसर ये कह रहे हैं कि जिनके आवेदन ले लिए हैं उन सब के नक्शे मंजूर किए जाएंगे। अभी भी लगातार जमीन मालिकों से नक्शे मंजूरी के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। पता नहीं कौन इस घोटाले को रोक भी पाएगा या नहीं। वैसे, घोटाले करने वाले निकम्मे, मक्कार और इतने बेशर्म होते हैं कि उनको किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ स्वतंत्र रूप से अपनी पत्रकारिता करता रहा है। हम तो शहर के हित में लगातार अपनी आवाज उठाते रहेंगे लेकिन किसी से डरेंगे नहीं। खबर के मामले में लगातार हमारी खोजबीन जारी है। जितने नक्शे मंजूर हुए हैं उसकी सूची हमने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के मुख्यालय भोपाल से जानकारी मांगी है। सूचना के अधिकार में हमें जानकारी नहीं दी तो हम जनहित में कोर्ट की भी शरण ले सकते हैं।