स्वतंत्र समय, उज्जैन
22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसमें देश तथा दुनिया के चुनिंदा लोगों को आमंत्रण मिला है। इसमें उज्जैन के 35 संत भी शामिल है। यह संत शुक्रवार सुबह भगवान महाकाल का अभिषेक पूजन कर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन से अयोध्या की ओर रवाना हो गए। इसके पूर्व संतों ने महाकाल लोक का भ्रमण भी किया।
उल्लेखनीय है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या में पूरे मालवा प्रांत से 144 संतों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है, जिसमें उज्जैन के 35 संत शामिल हैं। विश्व हिन्दू परिषद अध्यक्ष महेश तिवारी ने कुछ दिन पहले इन संतों को आमंत्रण पत्र दिए थे। इस दौरान प्रांत मंत्री विनोद शर्मा, राधा रमण शर्मा विभाग प्रमुख मुकेश खण्डेलवाल, कोषाध्यक्ष संतोष धामाणी, धर्मांचार्य प्रमुख आशुतोष दुबे, मोहन जायसवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। शुक्रवार सुबह यह सभी 35 संत अयोध्या रवाना होने से पहले महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने विधि विधान से भगवान महाकालेश्वर का गर्भग्रह में जाकर अभिषेक पूजन किया। इसके बाद सभी संत भगवान महाकाल की भस्म लेकर वाहनों से अयोध्या के लिए रवाना हुए।
सदियों की प्रतिक्षा के बाद आया यह शुभ अवसर
महाकाल दर्शन के बाद तथा अयोध्या रवाना होने से पूर्व इन सभी संतों ने ई-कार्ट में बैठकर पूरे महाकाल लोक का भ्रमण किया। संतों ने बताया कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम मंदिर में भगवान श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा के साथ विराजमान होने जा रहे हैं। संत समाज ही नहीं पूरे देश तथा दुनिया को इस अवसर की 5 सदियों से प्रतिक्षा थी। यह संतों के लिए गौरव का विषय है इस महान और पुनित कार्य के साक्षी बनने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ है। संतों ने कहा कि 22 जनवरी को होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उन्हें इतनी प्रसन्नता है जिन्हें वे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। संतों ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेकर अयोध्या रवाना हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे उज्जैनवासियों की ओर से भी भगवान श्री राम के चरणों में शीष नवाकर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। संतों ने कहा कि उज्जैन से अयोध्या जाना और इस बहुप्रतिक्षित महोत्सव में शामिल होना उनके लिए अभूतपूर्व आनन्द के समान है।