2 साल में बजट भाषण में किए 40 वादे अब भी अधूरे, 62 करोड़ का घाटा, 100 एकड़ का लैंड बैंक तैयार

इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश करने जा रहे हैं। इस मौके पर पिछले दो बजट की समीक्षा की गई, जिसमें यह सामने आया कि उनके द्वारा किए गए 40 प्रमुख वादे अब भी अधूरे हैं। इनमें से कई योजनाओं पर अभी तक काम शुरू भी नहीं हुआ, जबकि कुछ पर आंशिक रूप से कार्यवाही हो रही है। कई वादे ऐसे भी हैं, जिन्हें बजट भाषण में जोर-शोर से पेश किया गया था, लेकिन बाद में भुला दिया गया। इस नए बजट सत्र के दौरान, जनता की निगाहें इस बात पर होंगी कि महापौर पिछली घोषणाओं को पूरा करने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं और नए बजट में कितनी वास्तविकता झलकती है।

वर्ष 2023-24 के बजट में महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा कई अहम घोषणाएं की गई थीं, जिनमें से कई अब तक अधूरी हैं। नर्मदा पेयजल योजना के चौथे चरण के लिए 1500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन यह योजना अब भी पूरी नहीं हुई। शहर की 29 स्लम बस्तियों को ग्रीन स्लम में बदलने की योजना थी, लेकिन इस दिशा में ठोस कार्य नहीं हुआ। पलासिया थाने, लक्ष्मी मेमोरियल अस्पताल, सिरपुर तालाब और लक्ष्मीबाई प्रतिमा किला मैदान के पास नया एसटीपी बनाने के लिए 150 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा हुई थी, लेकिन इनमें से कई परियोजनाएं अधर में हैं। निगम स्वामित्व के सभी भवनों और 200 उद्यानों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की योजना भी अब तक अधूरी है। महापौर परिषद की हर महीने बस्ती क्षेत्र में बैठक करने का वादा किया गया था, लेकिन यह नियमित रूप से नहीं हो सका। दो बस्तियों को मॉडल बस्ती के रूप में विकसित करने की योजना भी ठंडे बस्ते में है। शहर के 150 चौराहों को फ्री वाई-फाई जोन बनाने की घोषणा भी अब तक पूरी नहीं हुई। पश्चिमी क्षेत्र में मॉडर्न ऑडिटोरियम और हर जोनल कार्यालय में मॉडर्न लाइब्रेरी तथा पीपीपी मॉडल पर करियर काउंसलिंग सेंटर स्थापित करने की योजनाएं भी केवल कागजों तक सीमित नजर आ रही हैं।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में मेधावी छात्राओं को सम्मानित करने की घोषणा की गई थी, जिसके तहत मेरिट बेस पर तीन छात्राओं को स्कूटी, पांच को लैपटॉप और दस को साइकिल देने का वादा किया गया था। हालांकि, इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर अब तक ठोस जानकारी सामने नहीं आई है।

इसी तरह, शहर में यातायात और पैदल यात्रियों की सुविधा के लिए तीन इमली फ्लाईओवर ब्रिज, ओल्ड जीडीसी, एमवायएच अस्पताल, आरएनटी मार्ग पर यूनिवर्सिटी के सामने, टावर चौराहा से भंवरकुआं चौराहा के बीच, रणजीत हनुमान मंदिर, ग्रेटर कैलाश मार्ग, अन्नपूर्णा मंदिर, बंगाली चौराहा से पिपलियाहाना चौराहा और आईटी पार्क चौराहा के पास फुट ओवर ब्रिज बनाने की योजना थी। इनमें से कुछ स्थानों पर काम शुरू हुआ है, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं अब भी अधूरी हैं।

शहर में खुले स्थानों पर आउटडोर पार्किंग विकसित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन इसका कार्य भी अपेक्षित गति से नहीं हो पाया है। सभी श्मशान घाटों पर सीएनजी एवं इलेक्ट्रिक यंत्र से दाह संस्कार की व्यवस्था करने का वादा किया गया था, मगर अभी तक कई श्मशान घाटों पर यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है।

वल्लभनगर और महूनाका मार्केट के रीडिवेलपमेंट की योजना भी अब तक अधर में लटकी हुई है। वहीं, बस के चेसिस पर 10 मोबाइल स्मार्ट टॉयलेट बनाने की घोषणा भी अभी पूरी नहीं हो सकी है। शहर के सभी 85 वार्डों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने का वादा किया गया था, लेकिन इस दिशा में भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा वर्ष 2024-25 के बजट में कई विकास कार्यों की घोषणा की गई थी, लेकिन इनमें से कई अब भी अधूरे हैं।

468 करोड़ रुपये की लागत से 23 प्रमुख सड़कों का निर्माण किया जाना था, लेकिन इनमें से अधिकांश का काम अभी शुरू नहीं हुआ है। सुभाष मार्ग, जिंसी से लक्ष्मीबाई प्रतिमा, भागीरथपुरा, भमोरी से राजशाही गार्डन, जंजीर वाला चौराहा से अटल द्वार, मधु मिलन चौराहा से छावनी चौराहा, एडवांस एकेडमी से रिंग रोड और जीपीओ से सरवटे बस स्टैंड की सड़कें अब भी निर्माण की प्रतीक्षा में हैं।

निगम के ई-पोर्टल के माध्यम से मोबाइल पर नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा भी पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है। कचरे से बिजली बनाने की परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन यह काम अभी शुरुआती स्तर पर ही है।

30 स्लम बस्तियों को ग्रीन स्लम में बदलने की योजना थी, लेकिन अब तक केवल कुछ स्थानों पर ही काम शुरू हुआ है। नमामि गंगे योजना में तीन एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और 568 करोड़ की लागत से दो एसटीपी बनाने तथा सीवर लाइन बिछाने का वादा किया गया था, लेकिन यह योजना अभी अधर में लटकी हुई है।

बिलावली तालाब में बोटिंग और जल क्रीड़ा गतिविधियां शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं दिख रही। शहर के हर वार्ड में एक कॉलोनी को 100% सोलर बेस्ड करने की योजना थी, लेकिन इस पर अभी बहुत कम काम हुआ है। पांच बगीचों को सोलर युक्त बनाने और सभी शासकीय स्कूलों व निगम भवनों पर सोलर पैनल लगाने की योजना भी अधूरी है।

150 प्रमुख चौराहों पर फ्री वाई-फाई जोन बनाने का वादा किया गया था, लेकिन यह योजना अभी तक साकार नहीं हो सकी है। 29 गांव की नजूल भूमि पर पीपीपी मॉडल के तहत काम होना था, लेकिन इसमें भी कोई ठोस पहल नहीं हुई।

सभी 85 वार्डों में योग केंद्र स्थापित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी कुछ ही स्थानों पर इसका काम शुरू हो पाया है। शहर में दो नए तालाब बनाने और पांच स्थानों पर हाइड्रोलिक पार्किंग की व्यवस्था करने की योजना भी अधूरी है। वल्लभनगर मार्केट, वीर सावरकर मार्केट और तरुण पुष्कर को नए सिरे से विकसित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं हुआ।

शहर में चार नई चाट चौपाटी विकसित करने और सराफा की चाट चौपाटी को पुनर्विकसित करने की योजना भी अभी कागजों तक ही सीमित नजर आ रही है। मास्टर प्लान में प्रस्तावित 23 सड़कों का निर्माण आठ महीने में शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक इनमें से अधिकांश सड़कों पर काम शुरू नहीं हुआ है।

हर विधानसभा क्षेत्र में मॉडल सड़क बनाने और निगम के निर्माणाधीन कार्यालय भवन को पूर्ण करने का वादा भी अभी अधूरा है। 10 नए ब्रिज बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन इनमें से अधिकतर का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।