श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा में पचास देशों के 53 लोग आ रहे, कल से पूजा विधि प्रारंभ

स्वतंत्र समय, अयोध्या

अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां जोरों पर है। कल से पूजा विधि प्रारंभ हो जाएगी जो 21 जनवरी तक चलेगी। इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को पत्रकार वार्ता कर समारोह की तैयारियों और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के समय गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गर्भगृह में मौजूद रहेंगे।
ठ्ठ चंपत राय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मनोभाव प्रकट करेंगे। इस कार्य में संभवत: 65 से 75 मिनट का समय लगेगा। मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम तट, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण (कर्नाटक) अनेक स्थानों का जल आया है। इसके अलावा तमाम लोग अपने-अपने स्थानों का जल और रज (मिट्टी) यहां ला रहे हैं।
ठ्ठ चंपत राय ने कहा कि दक्षिणी नेपाल से एक हजार टोकरियों में भेंट आई है, जिसमें अनाज, फल, मेवे, वस्त्र और सोना-चांदी आदि आया हुआ है। माता जानकी का जन्म स्थान है वहां से लोग आए हैं, भगवान श्रीराम की ननिहाल छत्तीसगढ़ है, वहां से भी भेंट आई हुई है। एक साधु बैलगाड़ी में घी लेकर जोधपुर से आए। ऐसे तमाम लोग श्रद्धापूर्वक रामलला को भेंट करने के लिए अनेक वस्तुएं लेकर आ रहे हैं और यह सिलसिला जारी है।

श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दर्शन व प्राण प्रतिष्ठा की रूपरेखा की दी जानकारी-

  • 20 जनवरी से 21 जनवरी तक रामलला के दर्शन बंद रहेंगे, फिलहाल अभी इस पर विचार चल रहा है। मंदिर के आचार्य और पुजारी ही अंदर मौजूद रहेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को लेकर कोई असुविधा न हो। प्रधानमंत्री के निवेदन को दोहराते हुए चंपत राय बोले कि 22 जनवरी को समाज के लोग अपने-अपने मंदिरों की सफाई करें। मंदिर छोटा हो या बड़ा दोनों ही भगवान के घर हैं, इसलिए सभी में पूजन-भजन हो। टेलीविजन या एलईडी स्क्रीन लगाकर खुद और अपने-अपने आसपास के लोगों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह को दिखाएं।
  • चंपत राय ने समाज के लोगों से अपील की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद लोग शंख बजाएं, शंख की ध्वनि शुभ ध्वनि है। साथ ही प्रसाद वितरण करें, प्रसाद क्या बंटा, इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचे। सूर्य अस्त होने के बाद अपने घरों के मुख्य द्वार पर पांच दीये जलाएं।
  • प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भारतीय परंपरा के सभी तरह के वाद्ययंत्र जैसे- उत्तर प्रदेश का पखावज व बांसुरी व ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्य प्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावण हत्ता, बंगाल का श्रीखोल, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलानाडु का नादस्वरम और मृदंग, उत्तराखंड का हुडक़ा का वादन होगा। बस मंत्रोच्चार और विशिष्ट जनों के मनोभाव प्रकट करने के दौरान इन वाद्ययंत्रों का वादन नहीं होगा।
  • मंदिर परिसर की विशेष साज-सज्जा होगी। प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो जाने के बाद दोपहर ढाई बजे के बाद संत, महापुरुष और आमंत्रित गण दर्शन करने के लिए मंदिर में प्रवेश करेंगे। आमंत्रित लोगों को प्रात: 10 और साढ़े 10 बजे मंदिर में प्रवेश करना होगा और वापस जाने में शाम को पांच या छह भी बज सकते हैं। मंदिर में आने वाले आमंत्रित लोगों के लिए अल्पाहार की व्यवस्था रहेगी। 22 तारीख को 25 से अधिक चार्टर्ड प्लेन आने की संभावना है।
  • चंपत राय ने कहा कि 18, 19 और 20 को जोड़ लें तो करीब 100 हवाई जहाज अयोध्या में उतरेंगे। महर्षि वाल्मीकि हवाई अड्डे के अधिकारियों से इस संबंध में निवेदन किया गया है, और उन्होंने अच्छी से अच्छी सुविधा देने का आश्वासन दिया है। 26 तारीख से विहिप, आरएसएस की तिथियां निर्धारित की गई हैं और ये कार्यकर्ता उन्हीं तिथियों के हिसाब से राम मंदिर में दर्शन के लिए आएंगे।
  • चंपत राय ने कहा कि 23 या 24 फरवरी तक संघ परिवार के स्वयंसेवकों के दर्शन की प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। जिन लोगों को निमंत्रित किया गया है उनके ठहरने के लिए कारसेवकपुरम, मणिरामदास छावनी का प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र और मणि पर्वत के बगल में तीर्थ क्षेत्रपुरम में व्यवस्था की गई है।
  • ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि हॉगकॉग से एक टीम आ रही है, अमेरिका से भी एक टोली आ रही है। हमने पचास देशों से एक-एक व्यक्ति का चयन करने का निवेदन किया था। इसी क्रम में एक देश, एक प्रतिनिधि के तौर पर संगठन के लोग आ रहे हैं। ऐसे पचास देशों के 53 लोग आ रहे हैं। प्रयास रहेगा कि जो व्यक्ति आ रहा है वह उसी दिन दर्शन कर अपने गतंव्य की ओर जा सके। सर्दी को देखते यह प्रयास हो रहा है।