वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 में लोकसभा में नया आयकर बिल पेश किया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा आयकर कानून (1961) को सरल और अधिक समझने योग्य बनाना है। सरकार का दावा है कि यह नया विधेयक आम लोगों के लिए आयकर कानून को और भी स्पष्ट बनाएगा, साथ ही इससे मुकदमेबाजी की संख्या कम होगी। नया बिल पहले से छोटा है, जिसमें 622 पन्नों में 23 चैप्टर और 536 धाराएं हैं, जबकि पुराने कानून में 880 पन्नों और 298 धाराएं थीं।
कानून में शब्दों की संख्या में कमी
नई आयकर विधेयक में 3 लाख शब्दों की कमी की गई है, जिससे यह कानून और भी आसान और समझने योग्य हो गया है। पुराने कानून में जटिल शब्दों को सरल रूप में बदल दिया गया है, जैसे ‘नॉटविथस्टैंडिंग’ को ‘इरिस्पेक्टिव ऑफ एनीथिंग’ से बदला गया है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि आम लोग भी इस कानून को आसानी से पढ़ और समझ सकें।
आधुनिक बदलाव
यह नया बिल 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, लेकिन इसमें मौजूदा कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। प्रमुख बदलावों में ‘टैक्स ईयर’ का कंसेप्ट लागू किया जाएगा, जो अब तक के ‘फाइनेंशियल ईयर’ और ‘एकाउंटिंग ईयर’ की जगह लेगा। इसका मतलब यह होगा कि एक साल में अर्जित आय पर उसी वर्ष टैक्स चुकाना होगा। पुराने कानून में जो जटिलताएं थीं, जैसे ‘फ्रिंज बेनिफिट टैक्स’, उसे भी हटा दिया गया है।
नई तालिकाएं और टीडीएस
नए बिल में टीडीएस से संबंधित नए प्रावधान और तालिकाएं शामिल की गई हैं। इसमें टीडीएस, आय स्रोतों पर कर कटौती, अनुमानित कराधान, और बैड लोन के लिए संबंधित कटौतियों पर ध्यान दिया गया है।
संवेदनशील बदलाव
नया बिल पुराने आयकर कानून (1961) को संशोधित करने की कोशिश करता है, क्योंकि पिछले 60 वर्षों में इसके कई संशोधन किए गए थे। वित्त मंत्री ने बताया कि 1961 के समय में इस एक्ट में केवल 298 धाराएं थीं, लेकिन अब इसमें 819 धाराएं हो चुकी हैं। बिल में परिवार पेंशन पर राहत दी गई है, लेकिन टीडीएस रिटर्न न भरने पर अब सख्ती बरती जाएगी और 500 रुपये की दैनिक पेनाल्टी लग सकती है।
बिल में क्या नहीं बदला?
नए बिल में मौजूदा कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिसका मतलब यह है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर जो टैक्स छूट मिलती है, वह वैसी की वैसी रहेगी। इसके अलावा कुछ अन्य राहतों, जैसे डिफेंस सर्विसेज के कर्मचारियों की ग्रेच्यूटी पर टैक्स छूट और अग्निपथ योजना के तहत किए गए योगदानों पर टैक्स छूट, जैसी बातें पहले जैसी रहेंगी।