चीन ने अपने पुराने टाइप-99 बैटल टैंक का एक उन्नत और आधुनिक संस्करण टाइप-99बी तैयार किया है। यह नया टैंक विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों और बेहद ठंडे मौसम में युद्ध करने के लिए डिजाइन किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन इस टैंक को भारत से लगती हिमालयी सीमा पर तैनात कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं पैदा हो गई हैं।
विक्ट्री डे परेड में पहली बार दिखा टाइप-99बी
रिपोर्ट के अनुसार, टाइप-99बी को पहली बार सितंबर 2025 में बीजिंग में आयोजित विक्ट्री डे परेड के दौरान सार्वजनिक रूप से पेश किया गया था। यह टैंक चीन के मौजूदा टाइप-99 प्लेटफॉर्म पर आधारित है, लेकिन इसमें आधुनिक तकनीक और युद्ध क्षमता को काफी हद तक बढ़ाया गया है।
कठिन इलाकों में सफल परीक्षण
चीन ने इस टैंक का परीक्षण विभिन्न तरह के इलाकों में किया है। टेस्टिंग के दौरान इसकी ड्राइविंग क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और लाइव-फायर अभ्यास को परखा गया। चीनी सेना का दावा है कि यह टैंक बेहद चुनौतीपूर्ण हालात में भी संतुलन बनाए रखते हुए प्रभावी तरीके से लड़ाई कर सकता है।
एडवांस कमांड और कंट्रोल सिस्टम
टाइप-99बी की सबसे बड़ी खासियत इसका आधुनिक कमांड, कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम है। इसमें इन्फॉर्मेशन बेस्ड वारफेयर तकनीक को शामिल किया गया है, जिससे युद्ध के दौरान तेजी से फैसले लिए जा सकते हैं। फायरपावर और डेटा शेयरिंग क्षमता को पहले के मुकाबले काफी उन्नत बनाया गया है।
तिब्बत और भारत-चीन सीमा के लिए डिजाइन
चीन का कहना है कि टाइप-99बी को खास तौर पर तिब्बत के पठार और भारत-चीन सीमा जैसे इलाकों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। यह टैंक न सिर्फ तेज रफ्तार से मूव कर सकता है, बल्कि लंबे समय तक लगातार युद्ध संचालन में भी सक्षम है।
टाइप-99बी टैंक की प्रमुख तकनीकी खूबियां
टाइप-99बी एक तीसरी पीढ़ी का मेन बैटल टैंक है। इसका वजन लगभग 55 टन बताया जा रहा है। इसमें
- 125 मिमी की मुख्य तोप,
- अत्याधुनिक फायर कंट्रोल सिस्टम,
- मजबूत और बहुस्तरीय कवच,
- और कई सक्रिय व निष्क्रिय सुरक्षा सिस्टम लगे हैं।
लाइव-फायर परीक्षण के दौरान इसकी ऑटो-लोडर प्रणाली ने बेहतर प्रदर्शन किया और टैंक ने करीब 1 किलोमीटर दूर स्थित टारगेट पर लगातार सटीक फायरिंग की।
रिमोट कंट्रोल और रियल-टाइम डेटा सिस्टम
परीक्षण के समय टाइप-99बी को रिमोट कंट्रोल मोड में भी चलाया गया। इस दौरान ऑपरेटरों को युद्ध क्षेत्र की स्थिति, कमांड निर्देश और टैंक के उपकरणों की जानकारी रियल-टाइम में मिलती रही। इसके कम्युनिकेशन एंटीना और नेटवर्क सिस्टम पहले से कहीं अधिक आधुनिक बताए जा रहे हैं।
360 डिग्री सेंसर से लैस
यह टैंक 360 डिग्री ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड सेंसर से लैस है, जिससे यह दिन और रात दोनों समय दुश्मन के ठिकानों को पहचानकर हमला कर सकता है। खराब मौसम और कम दृश्यता में भी इसकी निगरानी क्षमता प्रभावी बनी रहती है।
भारत सीमा पर तैनाती की रणनीतिक वजह
गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए तनाव के बाद चीन ने पहले हल्के टाइप-15 टैंक तैनात किए थे, जिनका वजन लगभग 33 टन है और वे दुर्गम इलाकों में आसानी से पहुंच सकते हैं। हालांकि, चीनी मीडिया के अनुसार, सीधे युद्ध की स्थिति में अधिक फायरपावर वाले भारी बैटल टैंक की जरूरत महसूस की जा रही है।
भारतीय टैंकों से मुकाबले की तैयारी
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यदि सीधी टक्कर होती है, तो भारत के T-72 और T-90 टैंकों का सामना करने के लिए चीन को ज्यादा ताकतवर प्लेटफॉर्म चाहिए। इसी रणनीति के तहत टाइप-99बी को विकसित किया गया है, जिसे भारतीय टैंकों के मुकाबले अधिक मारक क्षमता और आधुनिक तकनीक से लैस बताया जा रहा है।