मनावर के 6 हजार किसानो को मिलेगा नर्मदा का पानी, 8 हजार हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि होगी सिंचित

मनावर को मिलेगा बाईपास (रींग रोड़),देवरा महादेव मंदिर का भी होगा जिर्णोद्धार

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसींह चैहान के बालीपूर धाम आगमन पर जिला पंचायत सदस्य कपिल सोलंकी द्वारा मनावर तहसील के विकास हेतु विभिन्न मुद्दों को लेकर मांग रखी गई। जिसमें सबसे पहले सोलंकी ने कुक्षी के माइक्रो उद्वहन परियोजना में मनावर तहसील के सिंचाई हेतु ग्राम बालीपुर आश्रम के पीछे बने नाले मे, बड़गांव, रणतलाव, बनेड़िया, खट्यापुरा, दसवीं, टेमरियापुरा, सोल्यापुरा, तालाब व गुलाटी में नर्मदा नदि का पानी लाकर इस परियोजना में सम्मिलित करने की मांग रखी।

आवेदन अनुसार नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा सिंचाई हेतु कुक्षी माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई है। उपरोक्त नवीन स्वीकृत परियोजना की लाईन जहां से निकल रही है। उसके नजदीक मनावर तहसील के ग्राम बड़गांव, रणतलाव, बनेड़िया, खट्यापुरा, टेमरियापुरा, सोल्यापुरा, तालाब, गुलाटी को परियोजना में शामिल करने से लगभग 6 हजार से अधिक किसानो को शामिल करने पर 8 हजार हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी।

सोलंकी ने बताया कि वर्तमान मे पानी के अभाव में यहां के किसान पर्याप्त सिंचाई से वंचित है। साथ ही इन गावों में पेयजन की भी विकट समस्या है। इस परियोजना से जोड़ने पर इन ग्रामों में कृषकों को खेती के लिए सिंचाई हेतु व पिने के पानी की उचित सुविधा प्राप्त हो सकेगी। इन ग्रामों को सिंचाई के लिए जोड़ने से कृषकों को खेती में लाभ होगा। जिससे समस्त ग्राम के किसानों की उन्नती होगी और वह इस योजना से जीवन भर लाभ पाते रहेंगे।

उक्त योजना को लेकर शिवराज सिंह चैहान ने मंच से ही इस योजना में सभी ग्रामों को जोड़ने के लिए घोषणा की है। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने मंच से मनावर में बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए शहर के आसपास बायपास (रिंग रोड) बनाने की भी मंच से घोषणा की है। शिवराज सिंह चैहान का यह दौरा मनावर तहसील के लिए सौगात से भरा रहा। जिसका फायदा आने वाले समय में विधानसभा चुनाव में बड़े स्तर पर देखने को मिलेगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह किसानों के प्रति हमेशा ही कुछ ना कुछ हितकारी योजनाएं व कार्य करते रहते हैं। जिसमें यह भी एक मील का पत्थर साबित होगा और हजारों किसानों को सिंचाई एवं पीने के पानी की व्यवस्था मुहैया करवाई जा सकेगी। उक्त मांग को स्विकृत करवाने में म.प्र. के उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के द्वारा भी मुख्यमंत्री से विस्तृत चर्चा की गई थी। जिसके फल स्वचरूप इस योजना में मनावर तहसील के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका पूर्ण सहयोग रहा है। दत्तीगांव ने मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर इस कार्य में किसानों के हित में बात रखी है। जिससे यह संभव हो पाया है।

वहीं एक अन्य आवेदन में मुख्यमंत्री को मनावर के पास स्थित देवरा मंदीर का पूनर्निमाण करने हेतु मांग रखी गई। इस आवेदन में धार जिले के मनावर विकास खण्ड मुख्यालय से 12 कि.मी. दूर ग्राम देवरा में स्थित लगभग 1200 वर्ष पूराना परमार कालीन शिव मंदीर का विवरण दिया गया है। जिसको मुगल काल के दौरान खण्डित कर दिया गया था। जिसमें भोजपूर शैली में त्रिस्तरीय जलाधारी है। यह मंदिर अपने आप में क्षैत्र का अनुठा व पुरातात्विक महत्व का मंदीर है।

सोलंकी ने बताया कि मंदिर के पुनर्निमाण किये जाने से क्षेत्र में धर्मिक पर्यटन को भी बड़ावा मिलेगा। वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान को राज्य सभा सांसद सूमेर सींह सोलंकी द्वारा भी देवरा मन्दिर पुर्ननिर्माण करवाने के संबंध में आवेदन पत्र दिया। जिसमें उन्हांेने बताया कि उन्हें कई ग्रामीणों द्वारा आवेदन प्रेषित कर अवगत कराया गया था, कि ग्राम देवरा में अतिप्राचीन मदिंर खंडित अवस्था में मोजूद है। जो मुगलकाल में खण्डित हुआ है। राज्यसभा सांसद ने उक्त मदिंर के धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए पुरातत्व विभाग में सम्मिलित कर पुर्ननिर्माण की माँग मुख्यमंत्री से की है।

अपने तीसरे ज्ञापन में सोलंकी ने मुख्यमंत्री से बालीपुर में प्राकृतिक कृषि अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं विपणन संस्था खोलने की मांग की। जैसा की सभी को ज्ञात है कि मनावर व यह 1 के आसपास क्षेत्र में आजीविका उपार्जन का मुख्य स्त्रोत कृषि है। क्षेत्र में कृषकों के द्वारा अनुसंधान व प्रशिक्षण के आभाव के चलते रासायनिक उर्वरक व किटनाशकों का बहुत ज्यादा उपयोग किया जा रहा है। जिससे खेती अब लाभ का व्यापार नहीं रह गया है।

साथ ही रासायनिक उर्वरक व किटनाशकों के उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है। इस लिए वर्तमान समय की मांग के अनुसार क्षैत्र के किसानों को प्राकृतिक कृषि की और मोड़ना आवश्यक हो गया है। यदि किसानों को उचित अनुसंधान व प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो किसानों की लागत कम हो जाएगी। साथ ही सुनियोजित विपणन व्यवस्था हो तो जैविक कृषि उत्पादों के उचित दाम भी मिलेंगे। इस हेतु बालीपुर में प्राकृतिक कृषि अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं विपणन संस्था खोलने की मांग सोलंकी ने रखी है।