600 वकीलों ने चिट्ठी में कहा- एक समूह courts को कर रहा बदनाम

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि दूसरों को कोर्ट (courts) के माध्यम से डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। 5 दशक पहले ही उन्होंने प्रतिबद्ध न्यायपालिका का आह्वान किया था। वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ( courts ) के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र

इससे पहले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा सहित करीब 600 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट ( courts ) के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि एक निहित स्वार्थ वाला समूह बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है। भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को 26 मार्च को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में, विशेषकर उन मामलों में सबसे ज्यादा स्पष्ट होती है जिनमें भ्रष्टाचार की आरोपी राजनीतिक हस्तियां होती हैं। ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं। आधिकारिक सूत्रों द्वारा साझा किए गए पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। पत्र में कहा गया है कि यह समूह अदालतों के कथित बेहतर अतीत और सुनहरे दौर की झूठी कहानियां बनाता है और इसकी तुलना वर्तमान में होने वाली घटनाओं से करता है। पत्र में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य अदालतों को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें असहज करना है। इस पत्र को लिखने वाले करीब 600 अधिवक्ताओं में आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं।