67 लाख रुपए की सडक़ का बेस तैयार करने में मापदंड गायब

स्वतंत्र समय, आमला

नगरपालिका गुणवत्तापूर्ण निर्माण के दावे तो खूब करती है, लेकिन यह दावे केवल फाइलों तक सीमित है। जमीनी स्तर पर जिम्मेदार यह तक नहीं देखते है कि जो निर्माण कार्य हो रहे है, वह मापदंड अनुरूप है या नहीं, यहीं वजह है कि कार्यो में ठेकेदारों की मनमानी चलती है और जनता परेशान होती है। ऐसा ही मामला बंधा रोड से मोक्षधाम वाली सडक़ में देखा जा रहा है। यहां मुख्यमंत्री कायाकल्प योजना अंतर्गत 67 लाख से लगभग 2 किलोमीटर सडक़ बनाई जा रही है। इस सडक़ के निर्माण का लोग 20 साल इंतजार कर रहे थे। अब जब सडक़ बन रही है तो बेस निर्माण में मापदंडों की अनदेखी की जा रही है।

जिससे सडक़ की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे है। भरत रावत, नीलेश मालवीय, विनोद यादव, लक्ष्मण खातरकर का कहना है कि सडक़ का बेस बनाने के लिए न तो रोड रोलर का इस्तेमाल हो रहा है और न ही ठेकेदार ने बोल्डर डालकर जमीन को मजबूत बनाने का काम किया। सीधे मुरम-बजरी बिछाकर समतल किया जा रहा है। इस पर पानी तक नहीं डाल रहे। जिससे जमीन मजबूत नहीं बन पायेगी। ऐसी जमीन पर सडक़ बनती भी है तो चंद सालों में सडक़ दम तोड़ देगी और लोगो को फिर जर्जर सडक़ों पर आना-जाना पड़ेगा।

जेसीबी-रोड रोलर के स्थान पर चल रहा ट्रैक्टर

सडक़ की जमीन मजबूत बनाने ठेकेदार ट्रेक्टर से समतलीकरण का काम करवा रहे है। इससे जमीन तो समतल हो जायेगी, लेकिन बेस में जो मजबूती होना चाहिए, वह नहीं रहेगी। जानकार बताते है कि सडक का बेस सडक़ का आधार होता है। बेस मजबूत न रहे तो सडक़ भी मजबूत नहीं बनती है। इसलिए बेस बनाने के लिए जमीन की खुदाई और बार-बार रोड रोलर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि जमीन मजबूत बन सके। इसके बाद बोल्डर, गिट्टी, मुरम बिछाकर पानी का छिडकाव करना अनिवार्य है। ऐसा करने से जमीन की सतह मजबूत बनती है और सडक़ के अंदर धंसने संभावनाएं कम हो जाती है। किन्तु बंधारोड से मोक्षधाम तक सडक़ निर्माण में केवल औपचारिकता निभाई जा रही है। जिससे लोगों में भी रोष व्याप्त है।

इनका कहना है

सडक़ निर्माण की शिकायत मिली है अगर सडक़ में गुणवत्ता का ध्यान नही रखा जा रहा है तो ठेकेदार को दी जाने वाली निर्माण की राशि पर रोक लगा दी जाएगी सडक़ निर्माण कार्य मे गुणवत्ता से   कराया जायगा।

नीरज श्रीवास्तव, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका आमला