Rawan Temple : देशभर में विजयादशमी के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और रावण दहन किया जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन से करीब 20 किलोमीटर दूर चिकली गांव में दशहरे पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है।
दशहरे पर पहले यहां रावण की प्रतिमा की पूजा होती है फिर उसका दहन किया जाता है। चिकली गांव में रावण का एक प्रचीन मंदिर है, जिसमें करीब 8 फीट ऊंची रावण की प्रतिमा स्थापित है। दशहरे की सुबह ग्रामीण लोग यहां रावण की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते है और शाम को प्रतीकात्मक तौर पर दहन करते है।
यहां रहने वाले ग्रामीणों के अनुसार बताया जाता है कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। किसी को नहीं पता कि यहां रावण मंदिर कब और किसने बनाया था, लेकिन रावण की पूजा और प्रतीकात्मक दहन की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
दशहरे के पर्व पर इस गांव में मेला भी लगता है। वहीं चैत्र नवरात्रि की नवमी और शारदीय नवरात्रि के बाद दशहरा के दिन यहां दो बार रावण का पूजन और दहन किया जाता है।
चिकली गांव में दशहरा और चैत्र नवरात्रि के मेलों के दौरान यहां रामलीला का मंचन भी होता है। जिसमें लोग भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण, शिव स्वरूपों में सजकर आते है। इस आयोजन में गांव के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लोग भी शामिल होते है। उज्जैन के चिकली गांव के अलावा मंदसौर के खानपुरा इलाके में भी रावण की पूजा करते है और शाम को प्रतीकात्मक रूप से रावण का वध करते है।