भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी मंगलवार को एक बड़े शिक्षा संकट की गवाह बनी। प्रदेश के करीब 8000 निजी स्कूलों पर ताले लगने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। इसी को लेकर भोपाल के राज्य शिक्षा केंद्र के बाहर स्कूल संचालकों, शिक्षकों, बच्चों और अभिभावकों ने मिलकर जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों और तकनीकी खामियों की वजह से हजारों स्कूलों की मान्यता रद्द हो सकती है। स्कूल संचालकों का कहना है कि मान्यता के लिए आवेदन करने का पोर्टल समय पर नहीं खोला गया, जिससे उन्हें प्रक्रिया पूरी करने का मौका ही नहीं मिला।
“हमारा स्कूल मत बंद करो” की गुहार
इन मासूम चेहरों पर चिंता साफ नजर आ रही थी। वे डरे हुए थे कि अगर स्कूल बंद हो गया तो वे पढ़ाई से दूर हो जाएंगे। बच्चों की ये भावनात्मक अपील हर किसी को झकझोर रही थी। उनका बस एक ही संदेश था। सरकार हमारे स्कूलों को बचाए और हमें पढ़ने का हक दे। उनके साथ खड़े अभिभावक भी बेहद परेशान नजर आए। एक मां ने कहा, “हमारे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे थे। अगर मान्यता रद्द हो गई, तो हमें मजबूरी में सरकारी स्कूलों में भेजना पड़ेगा, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ेगा।”
स्कूलों का दर्द
एक निजी स्कूल संचालक ने कहा, “हमने बच्चों को सीमित संसाधनों में अच्छी शिक्षा दी है, लेकिन अब सरकार की सख्त नीतियों और पोर्टल बंद होने से हम आवेदन तक नहीं कर पाए।” उनका कहना है कि यह सिर्फ स्कूल का मामला नहीं, बल्कि हजारों शिक्षकों की नौकरी और लाखों बच्चों के भविष्य से जुड़ा सवाल है।
RTE की फीस भी बकाया
स्कूलों ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा RTE (Right to Education) के तहत पढ़ने वाले बच्चों की फीस कई सालों से नहीं दी गई है। इससे स्कूलों को चलाना और शिक्षकों को समय पर वेतन देना मुश्किल हो गया है।
सरकार की चुप्पी
इस गंभीर मुद्दे पर सरकार की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि नियमों की पारदर्शिता बनाए रखना प्राथमिकता है।