8th Pay Commission: देशभर के केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स इस समय आठवें वेतन आयोग की घोषणा का बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस आयोग के लागू होने के बाद उनकी वेतन और पेंशन में अच्छा-खासा इजाफा देखने को मिलेगा। खासकर महंगाई के इस दौर में यह संशोधन उनके लिए राहत लेकर आ सकता है।
रिपोर्ट ने बढ़ाई उम्मीदें: 30% से अधिक वेतन वृद्धि संभव
हाल ही में एम्बिट कैपिटल द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के बीच एक सकारात्मक माहौल बना दिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग के तहत वेतन में 30% से 34% तक की वृद्धि संभव मानी जा रही है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह वेतन वृद्धि पिछले सभी आयोगों की तुलना में सबसे अधिक प्रभावशाली हो सकती है।
कब लागू हो सकता है नया वेतन आयोग?
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 8वां वेतन आयोग संभवतः साल 2026 से या फिर वित्तीय वर्ष 2026-27 से लागू किया जा सकता है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी सिफारिशें तैयार करने का कार्य 2025 के अंत तक शुरू हो सकता है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
केंद्र सरकार पर पड़ेगा भारी वित्तीय बोझ
अगर 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं तो सरकार को लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। यह खर्च वेतन, भत्तों और पेंशन की बढ़ी हुई राशि की पूर्ति के लिए होगा। हालांकि सरकार इस वृद्धि को लंबी अवधि के आर्थिक विकास के नजरिए से एक सकारात्मक कदम मान सकती है।
हर 10 साल में लागू होता है नया वेतन आयोग
भारत सरकार की परंपरा रही है कि वह हर दस वर्ष में वेतन आयोग का गठन करती है, जो केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशनर्स और रक्षा कर्मियों की वेतन संरचना की समीक्षा करता है। पिछला यानी सातवां वेतन आयोग जनवरी 2016 में लागू हुआ था। इसी चक्र के अनुसार अब 2026 में 8वें वेतन आयोग के लागू होने की संभावना है।
फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि का मूल आधार
फिटमेंट फैक्टर वह महत्वपूर्ण गणना पद्धति है जिससे कर्मचारियों की नई बेसिक सैलरी तय की जाती है। इसे एक मल्टीप्लायर की तरह प्रयोग किया जाता है। जितना अधिक यह फैक्टर होगा, उतनी ही अधिक सैलरी में बढ़ोतरी होगी। यह इसलिए आवश्यक है ताकि समान पदों पर काम कर रहे सभी कर्मचारियों को एकसमान वृद्धि दी जा सके।
फिटमेंट फैक्टर कैसे काम करता है?
मान लीजिए किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी ₹20,000 प्रति माह है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.46 तय किया गया तो नई सैलरी होगी:
20,000 × 2.46 = ₹49,200 प्रति माह
यानी कर्मचारी की केवल बेसिक सैलरी में ही लगभग ₹29,200 की बढ़त होगी। इसके अलावा, इस बढ़ी हुई सैलरी पर महंगाई भत्ता (DA), HRA और अन्य भत्ते भी लागू होंगे।
न्यूनतम वेतन में भी बड़ा उछाल संभव
फिलहाल केंद्र सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम मासिक वेतन ₹18,000 है। एम्बिट कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ़कर ₹32,940 से ₹44,280 के बीच पहुंच सकता है। इसका लाभ विशेष रूप से ग्रुप D और निचले स्तर के कर्मचारियों को होगा, जिनकी आय में अच्छी खासी वृद्धि देखी जाएगी।
वेतन बढ़ने से बढ़ेगी खपत, जीडीपी को मिलेगा बल
जब लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स की आमदनी में इजाफा होगा, तो उनके खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी। इससे देश के खुदरा बाज़ार, रियल एस्टेट, बैंकिंग सेक्टर और अन्य उपभोग आधारित उद्योगों को लाभ होगा। बढ़ती खपत की वजह से मांग में तेजी आएगी और अंततः इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर सकारात्मक रूप में पड़ेगा।
सरकार के सामने संतुलन की चुनौती
हालांकि वेतन आयोग कर्मचारियों के हितों के लिए लाया जाता है, लेकिन इसे लागू करने से सरकार को अपने राजकोषीय घाटे और बजट संतुलन की भी चिंता करनी पड़ती है। इसलिए संभावना है कि सरकार इसकी सिफारिशों को टुकड़ों में लागू करे या इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए।