नरसिंहपुर: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए मध्य प्रदेश के वीर सपूत नायक आशीष शर्मा की स्मृति को अमर कर दिया गया है। नरसिंहपुर जिले के उनके पैतृk गांव बोहानी में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसका अनावरण पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने किया। इस अवसर पर उन्होंने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दी।
नायक आशीष शर्मा 10 अक्टूबर 2021 को पुंछ में एक সন্ত্রাসवाद विरोधी अभियान के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी शहादत के बाद से ही क्षेत्र में उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाने की मांग की जा रही थी। अब गांव के मुख्य चौराहे पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है, जो आने वाली पीढ़ियों को देश सेवा की प्रेरणा देगी।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ सांसद राव उदय प्रताप सिंह, विधायक जालम सिंह पटेल, कलेक्टर रिजु बाफना और पुलिस अधीक्षक अमित कुमार सहित कई जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
कमलनाथ ने प्रतिमा पर पुष्प चक्र चढ़ाकर शहीद को नमन किया। इसके बाद पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर वीर सपूत को सलामी दी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक और आसपास के गांवों के लोग भी शामिल हुए और उन्होंने शहीद आशीष शर्मा अमर रहें के नारे लगाए।
शहीद के परिवार से मिले कमलनाथ
अनावरण कार्यक्रम के बाद कमलनाथ शहीद आशीष शर्मा के घर पहुंचे। उन्होंने शहीद के पिता हरिशंकर शर्मा, मां उर्मिला शर्मा, पत्नी श्रद्धा शर्मा और बेटे अथर्व से मुलाकात की। कमलनाथ ने परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि आशीष की शहादत पर पूरे देश को गर्व है और कांग्रेस पार्टी हमेशा उनके परिवार के साथ खड़ी रहेगी।
“शहीद आशीष शर्मा ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया ہے। पूरा देश उन पर गर्व करता है और उनकी शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रभक्ति और सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।” — कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री
कौन थे शहीद नायक आशीष शर्मा?
नायक आशीष शर्मा नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील के बोहानी गांव के रहने वाले थे। वह 2011 में भारतीय सेना में शामिल हुए تھے। अपनी शहादत के समय वह जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात थे। 10 अक्टूबर 2021 को, आतंकियों کے ساتھ हुई एक भीषण मुठभेड़ में उन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश के लिए اپنے प्राण न्योछावर कर दिए। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए थे और पूरे राजकीय सम्मान کے ساتھ उन्हें अंतिम विदाई दी गई थी।