दिल्ली ब्लास्ट केस: पाकिस्तानी हैंडलर ने भेजे 40 वीडियो, डॉक्टर चला रहे थे टेरर मॉड्यूल

New Delhi :  दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियों ने एक पढ़े-लिखे आतंकियों के ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का भंडाफोड़ किया है। गौरतलब है कि इसके  तार सीधे पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलरों से जुड़े हैं। इस मॉड्यूल को डॉक्टर, मौलवी और अन्य पेशेवर लोग चला रहे थे।

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी हैंडलर ‘हंजुल्ला’ ने दिल्ली में धमाके के आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील गनई को बम बनाने के 40 वीडियो भेजे थे। जम्मू के शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद ने ही डॉ. मुजम्मिल की मुलाकात जैश के हैंडलर से कराई थी। इसके बाद कई पढ़े-लिखे लोगों, खासकर डॉक्टरों को जोड़कर यह आतंकी नेटवर्क तैयार किया गया।

आटा चक्की में विस्फोटक, यूनिवर्सिटी लैब से केमिकल

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. आदिल अहमद राथर और मौलवी इरफान को हिरासत में ले लिया है। जांच में पता चला है कि डॉ. मुजम्मिल विस्फोटक बनाने के लिए एक आटा चक्की का इस्तेमाल करता था।

यह चक्की फरीदाबाद के धौज गांव में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से बरामद हुई है। मुजम्मिल इसी चक्की में यूरिया पीसता था और फिर उसे रिफाइन करके विस्फोटक तैयार करता था। इसके लिए केमिकल अल फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से चुराए गए थे। मुजम्मिल ने ड्राइवर को यह चक्की अपनी बहन का दहेज बताकर उसके घर रखवाई थी।

इसी मॉड्यूल के ठिकानों से 9 नवंबर को 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और 10 नवंबर को 2558 किलो संदिग्ध विस्फोटक बरामद किया गया था।

मरीजों के इलाज के बहाने आतंक की भर्ती

इस ‘व्हाइट कॉलर’ मॉड्यूल के हर सदस्य का काम बंटा हुआ था। मॉड्यूल की अहम कड़ी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद और धमाके में मारा गया आतंकी डॉ. उमर नबी थे।

डॉ. मुजम्मिल अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिवारों से नजदीकियां बढ़ाता था। वह मदद के बहाने उनके घर जाता और उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलता था। टैक्सी ड्राइवर, जिसकी मदद से विस्फोटक छिपाए गए, उसकी मुलाकात भी मुजम्मिल से तब हुई जब वह अपने बेटे का इलाज कराने अस्पताल आया था।

इसी तरह धौज गांव के शोएब और बाशिद जैसे कई लोगों को इलाज और मदद के बहाने इस नेटवर्क में शामिल किया गया।

‘मैडम सर्जन’ बनाना चाहती थी महिला आतंकियों की टीम

मॉड्यूल में ‘मैडम सर्जन’ कोडनेम से जानी जाने वाली डॉ. शाहीन सईद का काम ब्रेनवॉश करना और आर्थिक मदद मुहैया कराना था। जांच एजेंसियों को उसकी एक डायरी मिली है, जिसमें महिला आतंकियों की एक टीम बनाने की योजना का जिक्र है।

डायरी से पता चलता है कि शाहीन ने कुछ लड़कियों की लिस्ट भी तैयार की थी। जब वह खुद इसमें कामयाब नहीं हुई, तो उसने यह जिम्मेदारी डॉ. मुजम्मिल को सौंप दी थी। मॉड्यूल में किसे कितने पैसे दिए जाएंगे, इसका फैसला भी डॉ. शाहीन और डॉ. उमर नबी मिलकर करते थे।