भोपाल: मध्य प्रदेश में नए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए संपत्तियों की नई कलेक्टर गाइडलाइन बनाने की कवायद शुरू हो गई है। महानिरीक्षक पंजीयन (IGR) ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। राज्य में जमीन और मकान की कीमतों में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले तीन वर्षों से कोरोना महामारी के चलते कलेक्टर गाइडलाइन में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं की गई थी। आखिरी बार दरें 2019-20 में बढ़ाई गई थीं। हालांकि, पिछले साल 2023-24 में भी दरें बढ़ाने का प्रस्ताव था, लेकिन उसे लागू नहीं किया जा सका। अब सरकार राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना चाहती है।
कैसे तय होंगी नई दरें?
नई दरें तय करने की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होगी। सबसे पहले, उप-जिला मूल्यांकन समितियां अपने-अपने क्षेत्रों में संपत्तियों के हुए सौदों का विश्लेषण करेंगी। निर्देशों के अनुसार, हर उप-पंजीयक कार्यालय के क्षेत्र में कम से कम 100 ऐसी रजिस्ट्रियों की पहचान की जाएगी, जहां गाइडलाइन से अधिक कीमत पर सौदे हुए हैं।
इसके बाद, सबसे अधिक मूल्य वाली 50 रजिस्ट्रियों का औसत निकालकर नई दरों का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। यह प्रस्ताव जिला मूल्यांकन समिति को भेजा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करते हैं। जिले से मंजूरी मिलने के बाद अंतिम निर्णय के लिए इसे केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के पास भेजा जाएगा। पूरी प्रक्रिया 15 मार्च तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन इलाकों में बढ़ सकते हैं दाम
गाइडलाइन में वृद्धि मुख्य रूप से उन इलाकों में की जाएगी, जहां मौजूदा बाजार मूल्य सरकारी गाइडलाइन से काफी ज्यादा है। जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय में सड़क, पुल या अन्य बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है, वहां कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
उदाहरण के लिए, भोपाल में कोलार, एयरपोर्ट रोड, होशंगाबाद रोड, रायसेन रोड और बायपास जैसे इलाकों में संपत्तियों की दरें बढ़ने की प्रबल संभावना है। वहीं, जिन इलाकों में संपत्तियों की खरीद-बिक्री नहीं हुई है, वहां दरें स्थिर रखी जा सकती हैं या उनमें कमी भी की जा सकती है।
राजस्व बढ़ाने पर सरकार का जोर
इस पूरी कवायद का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि करना है। संपत्ति की गाइडलाइन बढ़ने से स्टांप शुल्क और पंजीयन शुल्क से होने वाली आय भी बढ़ेगी। हालांकि, रियल एस्टेट सेक्टर को गति देने के लिए सरकार स्टांप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क की मौजूदा 12.5% की दर को कम करने पर भी विचार कर रही है। लेकिन इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। यदि नई गाइडलाइन 1 अप्रैल से लागू होती है, तो घर या जमीन खरीदने वालों को अपनी जेब अधिक ढीली करनी पड़ सकती है।