Indore News : साल 2025 का आखिरी वैवाहिक सीजन अब अपने अंतिम दौर में है। देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हुई शहनाइयों की गूंज दिसंबर के दूसरे सप्ताह के बाद थम जाएगी। इसके बाद विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि जनवरी 2026 में कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है।
ज्योतिर्विदों के अनुसार, शुक्र ग्रह के अस्त होने और फिर खरमास लगने के कारण दिसंबर मध्य से फरवरी की शुरुआत तक सभी शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा। इस वजह से नवंबर और दिसंबर के बचे हुए मुहूर्तों पर ही बड़ी संख्या में शादियां संपन्न होंगी, जिसके लिए मैरिज गार्डन, होटल और धर्मशालाएं पहले से ही बुक हैं।
दिसंबर के बाद क्यों लगेगा ब्रेक?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी मांगलिक कार्य, विशेषकर विवाह के लिए ग्रहों की स्थिति का शुभ होना अनिवार्य है। ज्योतिर्विद् विनायक चतुर्वेदी के मुताबिक, 8 दिसंबर से विवाह कार्य रुक जाएंगे क्योंकि 11 दिसंबर को शुक्र ग्रह पूर्व दिशा में अस्त हो रहा है। शुक्र ग्रह को सुख, समृद्धि और वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है और इसके अस्त होने पर विवाह जैसे कार्य वर्जित होते हैं।
इसके अतिरिक्त, 16 दिसंबर 2025 से खरमास भी शुरू हो जाएगा, जो 14 जनवरी 2026 तक रहेगा। इस अवधि में सूर्य धनु राशि में रहते हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता। खरमास के दौरान भी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और नामकरण जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
2025 के अंतिम विवाह मुहूर्त
ज्योतिर्विद् देवेंद्र कुशवाह के अनुसार, साल के अंत में अब विवाह के लिए बहुत कम दिन बचे हैं। नवंबर में कुछ तारीखें बीत चुकी हैं और अब दिसंबर में केवल कुछ ही दिन शेष हैं:
नवंबर 2025: 29, 30
दिसंबर 2025: 1, 4, 5, 6, 7
फरवरी 2026 से फिर शुरू होंगे विवाह
लगभग दो महीने के विराम के बाद, साल 2026 में विवाह के शुभ मुहूर्त 4 फरवरी से शुरू होंगे। फरवरी का महीना शादियों के लिए सबसे अनुकूल रहेगा, जिसमें सर्वाधिक 12 दिन के मुहूर्त हैं।
इसके बाद चातुर्मास के कारण फिर से एक लंबा ब्रेक आएगा। फिर नवंबर में 4 और दिसंबर में 7 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे।
2026 में 2025 से कम हैं शादियों के दिन
आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2025 में विवाह के लिए कुल 75 शुभ मुहूर्त थे, जिनमें से ज्यादातर जनवरी से जून के बीच थे। वहीं, साल 2026 में विवाह के लिए केवल 59 दिन ही शुभ रहेंगे, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16 दिन कम हैं।
ज्योतिष शास्त्र में खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना आवश्यक माना गया है और इन्हीं ग्रहों की स्थिति के आधार पर शुभ मुहूर्त निकाले जाते हैं।