अफ्रीका के इथियोपिया में हुए एक ज्वालामुखी विस्फोट ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। इरटा अले (Erta Ale) ज्वालामुखी से निकली राख और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का एक विशाल बादल तेजी से भारत की ओर बढ़ रहा है। यूरोपीय एजेंसी कॉपरनिकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस (CAMS) के अनुसार, यह बादल 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और इसके गुरुवार तक भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की आशंका है।
इस घटना ने विमानन उद्योग और मौसम विशेषज्ञों को अलर्ट पर रखा है। ज्वालामुखी की राख विमानों के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है, जिससे उड़ानें रद्द होने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा, यह बादल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
भारत पर क्या होगा असर?
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह जहरीला बादल भारत के दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ महाराष्ट्र और गुजरात जैसे पश्चिमी राज्यों को भी प्रभावित कर सकता है। इसके प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं:
1. हवाई यातायात पर संकट: ज्वालामुखी की राख में कांच और चट्टान के छोटे-छोटे कण होते हैं। ये कण विमान के इंजन में जाकर उसे जाम कर सकते हैं, जिससे इंजन फेल होने का खतरा रहता है। इसी वजह से कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें रद्द या उनका मार्ग बदला जा सकता है।
2. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: सल्फर डाइऑक्साइड एक जहरीली गैस है। इसके संपर्क में आने से लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक हो सकती है।
3. मौसम में बदलाव: ज्वालामुखी के बादल वायुमंडल की ऊपरी परतों तक पहुंच जाते हैं, जिससे सूरज की रोशनी धरती पर कम पहुंचती है। इससे तापमान में गिरावट आ सकती है और कुछ क्षेत्रों में बारिश की स्थिति भी बन सकती है।
यूरोपीय एजेंसी ने जारी की चेतावनी
कॉपरनिकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस (CAMS) इस बादल की गति और दिशा पर लगातार नजर बनाए हुए है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि सोमालिया और अरब सागर को पार करते हुए यह बादल गुरुवार को भारत के वायुमंडल में प्रवेश कर सकता है। CAMS ने इससे होने वाले संभावित खतरों को लेकर चेतावनी जारी की है।
जब 2010 में थम गया था यूरोप
यह पहली बार नहीं है जब किसी ज्वालामुखी विस्फोट ने हवाई यातायात को इस तरह प्रभावित किया हो। इससे पहले 2010 में आइसलैंड के आयफ्यालायोकुल (Eyjafjallajökull) ज्वालामुखी में हुए विस्फोट ने पूरे यूरोप में हफ्तों तक हवाई यातायात को ठप कर दिया था। उस दौरान लाखों यात्री फंसे रह गए थे और विमानन उद्योग को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था। मौजूदा स्थिति उसी घटना की याद दिला रही है, हालांकि इसका पैमाना अभी स्पष्ट नहीं है।
फिलहाल, भारतीय अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही इस संबंध में एडवाइजरी जारी कर सकते हैं। यात्रियों को अपनी उड़ानों की स्थिति के बारे में एयरलाइंस से जानकारी लेते रहने की सलाह दी गई है।