मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में पूरी तरह जुट गई है। इसी क्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक बड़ा संगठनात्मक कदम उठाते हुए 57 जिला प्रभारियों और 57 सह-प्रभारियों की सूची जारी कर दी है। इस फेरबदल को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की एक महत्वपूर्ण कवायद माना जा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की नई जोड़ी के नेतृत्व में यह पहला बड़ा बदलाव है। इस सूची के जरिए पार्टी ने युवाओं और अनुभवी नेताओं के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है, ताकि एक नई ऊर्जा के साथ चुनावी मैदान में उतरा जा सके। ये नियुक्तियां प्रदेश के सभी 57 संगठनात्मक जिलों के लिए की गई हैं।
प्रमुख शहरों में इन्हें मिली कमान
जारी की गई सूची के अनुसार, पार्टी ने कई वरिष्ठ नेताओं को महत्वपूर्ण जिलों की जिम्मेदारी सौंपी है। राजधानी भोपाल के लिए महेंद्र जोशी को प्रभारी और महेंद्र सिंह चौहान को सह-प्रभारी बनाया गया है। वहीं, आर्थिक राजधानी इंदौर की कमान सोबरन सिंह मावई (प्रभारी) और अर्चना जायसवाल (सह-प्रभारी) को दी गई है।
इसी तरह, ग्वालियर में पूर्व मंत्री रामनिवास रावत को प्रभारी और मिथुन अहिरवार को सह-प्रभारी नियुक्त किया गया है। संस्कारधानी जबलपुर की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया (प्रभारी) और नितेश अग्रवाल (सह-प्रभारी) को मिली है, जबकि उज्जैन में पूर्व मंत्री मुकेश नायक को प्रभारी और शोभा ओझा को सह-प्रभारी बनाया गया है।
सूची पर सियासत: पीसी शर्मा का नाम नहीं
इस सूची ने प्रदेश की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है। सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व मंत्री और भोपाल से विधायक पीसी शर्मा का नाम सूची में शामिल न होने को लेकर है। उन्हें किसी भी जिले का प्रभार नहीं दिया गया है, जिसे लेकर कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीसी शर्मा ने इसे किसी तरह की अनदेखी मानने से इनकार किया।
“मैं पूरे प्रदेश में प्रचार करूंगा। मैं AICC का सदस्य हूं, मेरी भूमिका इससे बड़ी है।” — पीसी शर्मा, विधायक, कांग्रेस
भाजपा ने साधा निशाना
कांग्रेस की इस सूची पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तुरंत निशाना साधा। भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने इसे वरिष्ठ नेताओं का अपमान बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
“ये है जीतू पटवारी इफेक्ट… पूर्व मंत्री, वर्तमान विधायक पीसी शर्मा को जिला प्रभारी के लायक भी नहीं समझा…?” — नरेंद्र सलूजा, प्रवक्ता, भाजपा
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुए ये संगठनात्मक बदलाव कांग्रेस के लिए काफी अहम हैं। एक तरफ जहां पार्टी नई टीम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नेताओं को साधने और गुटबाजी को नियंत्रित करने की चुनौती भी उसके सामने है। अब देखना यह होगा कि यह ‘नई कांग्रेस’ चुनावी रण में कितना प्रभावी साबित होती है।