आरक्षण पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद आईएएस संतोष वर्मा अब प्रशासन की कड़ी कार्रवाई के घेरे में आ गए हैं। राज्य सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर अपना लिखित जवाब देने के निर्देश दिए हैं। उनके बयान को सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला और सिविल सेवा आचरण नियमों के विरोध में माना गया है।
सरकारी नोटिस: टिप्पणी को बताया नियम विरुद्ध
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से देर रात जारी नोटिस में कहा गया कि वर्मा की टिप्पणी न केवल अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम, 1968 के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती है, बल्कि इससे समाज में आपसी तनाव बढ़ने की आशंका भी पैदा हुई है। नोटिस में साफ लिखा है कि यह बयान सामाजिक संरचना में असंतोष फैलाने वाला है और एक अधिकारी से अपेक्षित संयम के बिल्कुल विपरीत है।
बयान के बाद बढ़ा विरोध, संगठनों ने जताई नाराज़गी
बीते रविवार एक कार्यक्रम में दिए गए वर्मा के बयान ने विवाद का रूप ले लिया। ब्राह्मण समाज सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया और इसे समुदाय विशेष को आहत करने वाला बताया। कई संगठनों ने वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग भी उठाई, जिसके बाद मामला और गरमा गया।
सात दिन में स्पष्टीकरण नहीं दिया तो होगी कार्रवाई
सरकार ने चेतावनी दी है कि निर्धारित अवधि में स्पष्टीकरण न देने पर वर्मा के खिलाफ एकतरफा विभागीय कार्रवाई की जाएगी। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि अधिकारी के इस प्रकार के बयान से प्रशासनिक सेवा की गरिमा को ठेस पहुंचती है और ऐसी टिप्पणी किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है।