धार भोजशाला में ASI ने जब्त ने किया माँ वाग्देवी का तेल चित्र, पहली बार बिना तस्वीर के हुआ सत्याग्रह, हिंदू संगठनों ने जताया विरोध

Dhar Bhojshala : मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक धार भोजशाला में मंगलवार को एक अभूतपूर्व घटना देखने को मिली, जब दशकों पुरानी परंपरा टूट गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों ने हिंदू समाज द्वारा लाई जा रही एक नई तेल चित्र को परिसर में ले जाने से रोक दिया और उसे जब्त कर लिया।

इस कार्रवाई के विरोध में लोगों ने नारेबाजी की और पहली बार बिना मां वाग्देवी और बजरंगबली के चित्र के ही सत्याग्रह और पूजा-अर्चना की।

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब हिंदू समाज के लोग साप्ताहिक सत्याग्रह के लिए भोजशाला पहुंचे थे। उनका कहना था कि पुरानी तस्वीरें जीर्ण-शीर्ण हो गई थीं, इसलिए वे पूजा के लिए एक नई तेल चित्र लेकर आए थे। लेकिन, ASI के अधिकारियों ने उन्हें मुख्य द्वार पर ही रोक लिया और तस्वीर को अपने कब्जे में ले लिया।

क्या है पूरा मामला?

हर मंगलवार को भोजशाला में हिंदू समाज के लोग सत्याग्रह और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। यह आयोजन मां वाग्देवी और बजरंगबली के तेल चित्रों की मौजूदगी में होता आया है। हिंदू संगठनों के अनुसार, पुरानी तस्वीरें काफी पुरानी हो चुकी थीं, जिसके चलते एक नई तस्वीर लाई गई थी। जैसे ही लोग इस नई तस्वीर को लेकर अंदर जाने लगे, ASI के कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया और तस्वीर जब्त कर ली।

इस घटना के बाद भोजशाला के अंदर और बाहर माहौल तनावपूर्ण हो गया। नाराज लोगों ने ASI और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और तत्काल तस्वीर लौटाने की मांग की।

हिंदू संगठनों में आक्रोश, अपमान का आरोप

भोज उत्सव समिति ने ASI की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है। समिति ने इसे ‘हिंदू समाज का अपमान’ करार दिया है। समिति ने एक बयान जारी कर कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्षों से चली आ रही पूजा-पद्धति को बाधित किया गया।

“यह हिंदू आस्था पर सीधा प्रहार है। हम वर्षों से शांतिपूर्ण तरीके से सत्याग्रह करते आ रहे हैं। तस्वीर को इस तरह जब्त करना हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।” — भोज उत्सव समिति

समिति ने चेतावनी दी है कि यदि शाम तक तस्वीर वापस नहीं की गई तो वे आगे की रणनीति तय करेंगे। वहीं, ASI की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। फिलहाल जब्त की गई तस्वीर ASI के कब्जे में ही है, जिससे हिंदू संगठनों में आक्रोश बना हुआ है।