गीता जयंती पर उज्जैन में गूँजा कृष्णायन, तकनीक और भक्ति का अद्भुत मेल

गीता जयंती के अवसर पर 2 दिसंबर को उज्जैन अध्यात्म, संगीत और आधुनिक तकनीक के अद्भुत मिलन का केंद्र बन गया। दशहरा मैदान में संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश और वीर भारत न्यास द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्रस्तुत संगीतमय कथा ‘कृष्णायन’ ने दर्शकों को एक दिव्य अनुभूति से भर दिया। यह प्रस्तुति भारतीय सांस्कृतिक चेतना और आधुनिक टेक्नोलॉजी का ऐसा संयोजन साबित हुई, जिसने दर्शकों के मन-मस्तिष्क में अविस्मरणीय छाप छोड़ी।

कथा, संगीत और AI विज़ुअल्स का अनोखा मेल

कथाकार मोहित शेवानी ने अपनी खास प्रस्तुति शैली, मधुर संगीत और AI आधारित दृश्य-प्रभावों के साथ भगवान कृष्ण के जीवन प्रसंगों को जीवंत कर दिया। मंच पर शब्द, संगीतमय धुनें और तकनीकी दृश्यावलियाँ इस तरह एक साथ बहती रहीं कि पूरे सभागार में ऐसा वातावरण बना जैसे कृष्ण स्वयं दर्शकों की चेतना में साकार हो उठे हों।

इस प्रस्तुति का आधार रहा ‘कृष्णायन’, जिसे लेखक और गीतकार प्रबुद्ध सौरभ ने रचा है। इसमें कृष्ण के जीवन, दर्शन और लीला का ऐसा साहित्यिक विस्तार है, जिसने पूरे कार्यक्रम को भाव-गहराई और आध्यात्मिक ऊँचाइयों से भर दिया। शास्त्रीय भावभूमि और आधुनिक टेक्नोलॉजी का ऐसा सुंदर तालमेल कम ही देखने को मिलता है।

ब्रज की पावनता से लेकर उज्जैन की आध्यात्मिक विरासत तक

कार्यक्रम की शुरुआत मथुरा की दिव्य छवि से हुई। मोहित की आवाज़ और संगीत के सुरों ने पूरे सभागार को ब्रज की पवित्र आभा से भर दिया। इसके बाद कथा उज्जैन और मध्यप्रदेश के उन महत्वपूर्ण स्थलों से गुजरती है, जिनका कृष्ण के जीवन से गहरा संबंध है।

उन्होंने बताया कि कृष्ण का व्यक्तित्व ब्रज या द्वारका तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की संपूर्ण सांस्कृतिक धारा में वे निरंतर प्रवाहित शक्ति हैं। विशेष रूप से उज्जैन स्थित सांदीपनि आश्रम का उल्लेख करते हुए बताया गया कि यही वह गुरुकुल था जहाँ कृष्ण, बलराम और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की—जो आगे उनके चरित्र, नीति, पराक्रम और धर्म-स्थापना की नींव बनी।

जानापाव में परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्ति का प्रसंग दर्शकों में वीररस जगा गया, जबकि अमझेरा से जुड़े आध्यात्मिक प्रसंगों ने कृष्ण के यात्रा-विस्तार को नए आयाम दिए। लगभग 60 मिनट तक चली यह भाव-यात्रा संगीत, शब्द और दृश्य प्रभावों के समन्वय से एक साधना-सा वातावरण रचती रही।

संगीत टीम ने कथा को दी नई ऊर्जा

कथा के संगीत पक्ष में कई प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ दीं —

  • विजय गौर – बेस गिटार
  • दिव्यांश श्रीवास्तव – बांसुरी
  • नीलेश गंगवानी – हारमोनियम
  • करण मूरजानी – कीबोर्ड
  • राहुल सिरमौलिया – ड्रम्स
  • संचित महात्रे – परकशन
  • हिमांशु पवार – ढोलक
  • स्वप्निल – तबला
  • ओमी – गिटार
  • शुभम नथानी, अभिषेक, श्रीजा और अंकिता – सहगायन

इन सभी के सामंजस्य ने ‘कृष्णायन’ की कथा को पूर्णता प्रदान की और पूरा सभागार आध्यात्मिक संगीत के तरंगों से भर गया।