मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार एक बार फिर बाजार से कर्ज उठाने जा रही है। सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से 3,000 करोड़ रुपए का नया ऋण लेगी। इसके साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार द्वारा लिया गया कुल कर्ज 49,600 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
यह कर्ज 20 साल की लंबी अवधि के लिए लिया जा रहा है, जिसका मतलब है कि सरकार को इसे साल 2044 तक चुकाना होगा। वित्त विभाग के अनुसार, इस कर्ज को जुटाने के लिए 25 जून को सरकारी बॉन्ड (प्रतिभूतियां) की नीलामी की जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया आरबीआई के ई-कुबेर सिस्टम के जरिए ऑनलाइन संपन्न होगी।
विकास कार्यों के लिए फंड की जरूरत
राज्य सरकार का कहना है कि इस राशि का उपयोग प्रदेश में चल रही विकास परियोजनाओं को गति देने और विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के सुचारू संचालन के लिए किया जाएगा। यह मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार द्वारा लिया जाने वाला 11वां कर्ज है। गौरतलब है कि सरकार ने इस पूरे वित्त वर्ष के लिए 55,000 करोड़ रुपए तक का कर्ज लेने का प्रावधान अपने बजट में रखा है।
विपक्ष का सरकार पर निशाना
सरकार के लगातार कर्ज लेने पर विपक्षी दल कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मध्य प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल रही है। उन्होंने कहा, “यह कर्ज विकास के लिए नहीं, बल्कि इवेंट और प्रचार-प्रसार जैसे गैर-जरूरी कामों पर खर्च किया जा रहा है।”
कांग्रेस ने दावा किया कि सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश के हर नागरिक पर 50,000 रुपए से अधिक का कर्ज हो गया है। मिश्रा ने मांग की कि सरकार को अपनी फिजूलखर्ची पर लगाम लगानी चाहिए और प्रदेश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
लगातार बढ़ता कर्ज का बोझ
वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत से ही सरकार लगातार कर्ज ले रही है। जानकारी के अनुसार, अप्रैल में एक बार, मई में चार बार और जून के महीने में भी कई बार कर्ज लिया जा चुका है। अब 25 जून को 3000 करोड़ का नया कर्ज लिया जाएगा, जिससे इस वित्तीय वर्ष में उधारी का कुल आंकड़ा 49,600 करोड़ रुपए हो जाएगा। एक तरफ जहां सरकार विकास की रफ्तार बनाए रखने के लिए कर्ज को जरूरी बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे प्रदेश की आर्थिक सेहत के लिए खतरनाक मान रहा है।