सारंगपुर में सफाईकर्मियों की हड़ताल, 3 दिन से सड़कों पर कचरे का अंबार, 47 कर्मचारियों के वेतन पर अड़ा पेंच

सारंगपुर: मध्य प्रदेश के सारंगपुर में नगरपालिका की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। पिछले तीन दिनों से सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके कारण शहर की गलियों, मोहल्लों और मुख्य बाजारों में कचरे के ढेर लग गए हैं। कचरा उठाने वाली गाड़ियां नहीं चलने से हर तरफ गंदगी और बदबू का आलम है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

इस स्थिति से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को हो रही है। शहर की ठप पड़ी स्वच्छता व्यवस्था को लेकर स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है, लेकिन नगरपालिका प्रशासन और चुने हुए जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

वेतन को लेकर क्यों है विवाद?

यह हड़ताल तब शुरू हुई जब नगरपालिका ने 2016 के बाद नियुक्त हुए 47 कर्मचारियों को अक्टूबर महीने से काम से बंद कर दिया। इन कर्मचारियों के समर्थन में स्थायी कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे पूरी व्यवस्था ठप हो गई है।

हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि अगर उन्हें हटाना ही था तो अक्टूबर और नवंबर में उनसे काम क्यों करवाया गया।

“यदि हमने काम किया है तो हमें उन दोनों महीनों का वेतन दिया जाए। हमारी समस्या सुनने के लिए न तो नगरपालिका अध्यक्ष पंकज पालीवाल आए, न ही उपाध्यक्ष भावना नीलेश वर्मा और न ही कोई पार्षद हमसे बात करने को तैयार है।” — प्रदर्शनकारी कर्मचारी

कर्मचारियों का आरोप है कि उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है और कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनसे संवाद करने के लिए आगे नहीं आ रहा है।

प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, भोपाल जाने की दी सलाह

इस गंभीर मुद्दे पर जब मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO) ज्योति सुनहरे से बात की गई, तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना है कि यह निर्णय भोपाल से आए सरकारी आदेश के तहत लिया गया है।

“हम तो सरकारी आदेश का पालन कर रहे हैं। यदि हम तनख्वाह देते हैं तो उसकी वसूली हमसे की जाएगी। इसलिए कर्मचारी भोपाल जाकर अपनी समस्या बताएं। हमारी भी बात ऊपर चल रही है, जैसा भी आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा।” — ज्योति सुनहरे, CMO सारंगपुर

प्रशासन के इस रुख के बाद मामला और भी उलझ गया है। एक तरफ कर्मचारी वेतन के बिना काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ अधिकारी आदेशों का हवाला देकर अपनी लाचारी जता रहे हैं।

जनता में आक्रोश, भ्रष्टाचार के भी आरोप

शहर की बदहाली पर स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि यह जनता के स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। एक तरफ जरूरी काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन के लिए भटकाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर दबी जुबान में यह भी चर्चा है कि कुछ पार्षदों के नाम पर कई ऐसे मस्टर चल रहे हैं, जिन पर कर्मचारी काम पर आते ही नहीं और उनका भुगतान नगरपालिका द्वारा किया जाता है। इन आरोपों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल, सारंगपुर की जनता इस प्रशासनिक और राजनीतिक गतिरोध के बीच पिस रही है और जल्द से जल्द समाधान की उम्मीद कर रही है।